१
सघन वन
व्योम तले अँधेरा
क्षीण किरण।
२
कच्चे मकान
खुशहाल जीवन
गॉंव, पोखर
३
सुख की ठॉंव
हरियाली जीवन
म्हारा गॉंव
४
चूल्हा औ चौका
घर घर से उड़ती
सौंधी खुशबु
५
वो पनघट
पनिहारिन बैठी
यमुना तट
६
खप्पर छत
गोबर से लीपती
अपना मठ
७
ठहर गया
आदिवासी जीवन
टूटे किनारे .
८
बिखरे पत्ते
तूफानों से लड़ते
जर्जर तन
९
दीप्त किरण
अमावस की रात
लौ से हारी
१०
अल्लहड़ पन
डुबकियाँ लगाती
कागजी नाव
११
शीतल छाँव
आँगन का बरगद
पापा का गाँव
शीतल छाँव
आँगन का बरगद
पापा का गाँव
१ २
अकेलापन
तपता रेगिस्तान
व्याकुल मन
१३
गर्म हवाएँ
जलबिन तड़पें
मन, मछली
बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकु...
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब हाइकू .. अर्थ और शिल्प का गहरा दर्शन ...
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब हाइकू.....
ReplyDeletebhawpurn....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteआभार।
आंचलिकता की खुशबू लिए सभी हाइकु बहुत सुन्दर हैं...हार्दिक बधाई...
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeletekaplana ki uran me chala gya mera man is kavita se......adbhut.
ReplyDeleteBehatareen Haiku ..shashi ji....
ReplyDeleteउम्दा हाइकू !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकू, बहुत परिष्कृत भाषा और मनभावन चित्रण ।
ReplyDeleteखूबसूरत हाइकु
ReplyDeleteशशि जी आपके हाइकु मुझे अपने गाँव की याद दिला गए बेहद खूबसूरत
ReplyDeleteEh se badhkar ek.
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