shashi purwar writer

Monday, November 10, 2014

कच्चे मकान




सघन वन
व्योम तले अँधेरा
क्षीण किरण।

कच्चे मकान
खुशहाल जीवन
गॉंव, पोखर

सुख की ठॉंव
हरियाली जीवन
म्हारा गॉंव

चूल्हा औ चौका
घर घर से उड़ती
सौंधी खुशबु
  ५
वो पनघट
पनिहारिन बैठी
यमुना तट

खप्पर छत
गोबर से लीपती
अपना मठ
७ 
ठहर गया
आदिवासी जीवन
टूटे किनारे .

बिखरे पत्ते
तूफानों से लड़ते
जर्जर तन

दीप्त  किरण
अमावस की रात
लौ से हारी
१०
अल्लहड़ पन
डुबकियाँ लगाती
कागजी नाव

११
शीतल छाँव
आँगन का बरगद
पापा  का गाँव

१ २
अकेलापन
तपता रेगिस्तान
व्याकुल मन
१३ 
गर्म हवाएँ
जलबिन तड़पें
मन, मछली

16 comments:

  1. बहुत सुन्दर हाइकु...

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  2. बहुत ही लाजवाब हाइकू .. अर्थ और शिल्प का गहरा दर्शन ...

    ReplyDelete
  3. बहुत ही लाजवाब हाइकू.....

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  4. सुन्दर प्रस्तुति...
    आभार।

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  5. आंचलिकता की खुशबू लिए सभी हाइकु बहुत सुन्दर हैं...हार्दिक बधाई...

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  6. बहुत सुन्दर हाइकू, बहुत परिष्कृत भाषा और मनभावन चित्रण ।

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  7. खूबसूरत हाइकु

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  8. शशि जी आपके हाइकु मुझे अपने गाँव की याद दिला गए बेहद खूबसूरत

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