दादा - दादी ,नाना -नानी , भूले दुख के सब अंधियारे
बचपन के संग डूब गए , फैले हैं सुख के उजियारे
बुआ -फूफा, सौम्या -अवनि ,बोलें हम भी है अभिलाषी
नटखट गुड़ियाँ ने छेड़ी हैं , बजी सबके मन झंकार
वाट्स आप बाबा के जरिये , सभी मिलकर बाँटें प्यार
दादी पम्मो , घर के सारे, नाते - रिश्ते, जीता है बचपन
किलकारी से गूँज रहा है देखो, अब अपना घर - आँगन
-- शशि पुरवार
नन्ही नन्ही ,प्यारी निर्वी को शुभाशीष व प्यार ...
ReplyDeleteसुन्दर आशीर्वचन
निर्वी को बहुत बहुत प्यार ...
ReplyDeleteऔर आपको बधाई ...
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार के - चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteकोमल भावनाओं की सुन्दर रचना। महालक्ष्मी को प्रणाम। इसी तरह स्वागत हो हर घर में महालक्ष्मियों का तब बनेगा मेरा भारत महान अभी तो अाधी दुनिया हाशिये पर है।
ReplyDeleteकोमल भावनाओ का अतिसुन्दर चित्रण
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