माँ बसी हो, तुम हृदय की
साज में, झंकार में
साज में, झंकार में
चेतना जागृत करो माँ
इस पतित संसार में.
आस्था का एक दीपक
द्वार तेरे रख दिया
ज्योति अंतर्मन जली
उल्लास, मन ने चख लिया
शक्ति का आव्हान करके
पा लिया ओंकार में.
माँ बसी हो, तुम हृदय की
साज में, झंकार में
द्वार तेरे रख दिया
ज्योति अंतर्मन जली
उल्लास, मन ने चख लिया
शक्ति का आव्हान करके
पा लिया ओंकार में.
माँ बसी हो, तुम हृदय की
साज में, झंकार में
पाप फैला है जगत में
अंत पापी का करो
शौर्य का पर्याय हो, माँ
रूप काली का धरो
जन्म देती, जगत जननी
बीज को आकार में.
माँ बसी हो, तुम हृदय की
साज में, झंकार में
अंत पापी का करो
शौर्य का पर्याय हो, माँ
रूप काली का धरो
जन्म देती, जगत जननी
बीज को आकार में.
माँ बसी हो, तुम हृदय की
साज में, झंकार में
छंद वैदिक, मंत्र गूँजे
भावना रंजित हुई
सजग होती आज नारी,
जीत अभिव्यंजित हुई
माँ नहीं, तुमसा जहाँ में,
नेह के उद्गार में.
माँ बसी हो, तुम हृदय की
साज में, झंकार में
भावना रंजित हुई
सजग होती आज नारी,
जीत अभिव्यंजित हुई
माँ नहीं, तुमसा जहाँ में,
नेह के उद्गार में.
माँ बसी हो, तुम हृदय की
साज में, झंकार में
शशि पुरवार
आप सभी को चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (19-03-2018) को ) "भारतीय नव वर्ष नव सम्वत्सर 2075" (चर्चा अंक-2914) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को नव संवत्सर और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। विक्रम संवत 2075 आप सबके जीवन में सुख, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य लेकर आये यही हमारी कामना है।
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, नव संवत्सर और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 20/03/2018 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
निमंत्रण
ReplyDeleteविशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
नारीत्व की कितिी सुन्दर परिभाषा- विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:, स्त्रिया: समस्ता: सकला जगत्सु।त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्, का ते स्तुति: स्तव्यपरापरोक्ति:
ReplyDeleteनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteमाँ की चरण वन्दना में सुंदर सात्विक रचना है ...
ReplyDeleteनाव वर्ष और माता रानी की नवरात्रि की हार्दिक बधाई ...
बहुत खूबसूरत रचना ।नवरात्रि व नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।
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