Sunday, May 19, 2013

इशक गुलमोहर



1
बीहड़ वन
दहकता पलाश
बौराई हवा .
2
तप्त सौन्दर्य
धरती का शृंगार
सुर्ख पलाश
3
जेठ की धूप 
हँसे अमलतास
प्रेम के फूल 
4
यादों के फूल
खिले गुलमोहर
मन प्रांगन
5
सौम्य सजीले
दुल्हे का रूप धरे
आये पलाश
6
 खिली  चांदनी
भौरे गान सुनाये
  झूमे पलाश  
7
 तेरे प्यार में
खिला मन पलाश
  महका वन .
8
गर्मी है जवाँ
इशक गुलमोहर
फूल भी हँसे .
9
स्वर्ण पलाश
सोने से दमकते
भानु भी हैरां .
                                                                              

10
सजी धरती        
हल्दी भी खूब लगी
 झूमे पलाश .
        -------शशि पुरवार
5.5.13

25 comments:

  1. ओह क्या बात,
    शब्दों का खजाना है आपके पास
    बढिया

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  2. बहुत सुन्दर हाइकु ...अमलताश ...पलाश ...

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  3. बहुत सुन्दर हाइकु...

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  4. सभी हाइकु बेहद सुंदर!!

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  5. visited fierst time .... beautiful

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज सोमंवार (20-05-2013) के सरिता की गुज़ारिश : चर्चामंच 1250 में मयंक का कोना पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  7. वाह..
    खिले खिले हायकू......

    सस्नेह
    अनु

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  8. वाह ... बहुत खूब
    सभी हाइकु एक से बढ़कर एक

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  9. पलाश के सुनहरी रंगों में रंगे हाइकू ...
    बहुत ही लाजवाब ...

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  10. पलाश के रंग में रंगे हाइकू.... बहुत बढ़िया !!

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  11. बहुत ही सुन्दर हाईकू।

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  12. बहुत सुन्‍दर लेख
    हिन्‍दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्‍त करने के लिये एक बार अवश्‍य पधारें और टिप्‍पणी के रूप में मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ साथ पर अनुसरण कर अनुग्रहित करें MY BIG GUIDE

    नई पोस्‍ट एक अलग अंदाज में गूगल प्‍लस के द्वारा फोटो दें नया लुक

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  13. बहुत ही सुन्दर और लाजबाब हाइकू,आभार.

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  14. आपकी यह रचना कल मंगलवार (21 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण अंक - २ पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  15. बेह्तरीन अभिव्यक्ति शुभकामनायें.

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  16. कोशिश उम्दा
    शानदार हाइकु
    लाजबाब है !!
    हार्दिक शुभकामनायें ............

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  17. आपने प्रकति के सोंदर्य में जो प्रियतम के प्यार का मन के भाव जिस तरह से प्रकट किय है वो शब्दों से व्यान नहीं किये जा सकते .अपने नाम की शीतलता और सूर्य की ललिमा भी प्रकट की
    नारी की इस अभिव्यक्ति को यदि सभी पुरुष समझ लें तो ,विशव बहुत अधिक सुंदर हो जायेगा .
    सुंदर धरती -धरती माँ सभ कुछ ग्रेहन कर सकती ,एक माँ भी .
    कविता प्रेरणात्मक है.
    ग्लेमर ,अशिष्ट ,अश्लील,फैशन के , वातावरण में सुन्दरता की परिभाषा ही बदल गयी है. ,
    आपके लेखन में शब्दों का उपयोग सटीक है. अद्वितीय
    हार्दिक बधाई .

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  18. This comment has been removed by the author.

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  19. People rojgar one of the best artical i am reading your artical thanks..

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