दोहा
जीवन बहता नीर सा , राही चलता जाय
बीती रैना कर्म की , फिर पीछे पछताय .
सीना चौड़ा कर रहे , बाँके सभी जवान
देश प्रेम के लिए है , हाजिर अपनी जान .
सीना ताने मै खड़ा , करे धरती पुकार
कतरा आखिर खून का ,तन मन देंगे वार .
कुण्डलियाँ ---
सीना चौड़ा कर रहे ,वीर देश की शान
हर दिल चाहे वर्ग से ,करिए इनका मान
करिए इनका मान , हमें धरती माँ प्यारी
वैरी जाये हार , यह जननी है हमारी
दिल में जोश उमंग ,देश की खातिर जीना
युवा देश की शान ,कर रहे चौड़ा सीना .
-------शशि पुरवार
बहुत ही सुन्दर रचना।
ReplyDeletesundar prastuti
ReplyDeleteसीना चौड़ा कर रहे , सभी बाँके जवान
ReplyDeleteदेश प्रेम के लिए है , हाजिर अपनी जान ...
सभी दोहे जानदार ... शानदार ... और कुंडलियों का तो जवाब नहीं ..
बहुत सुन्दर रचना ....!!
ReplyDeleteसुन्दर जज़्बा ....
सराहनीय प्रयास आभार . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्यारी रचना,,,
ReplyDeleteRecent post: जनता सबक सिखायेगी...
bahut hi acchi likhi hai!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन खुद को बचाएँ हीट स्ट्रोक से - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआज देश को इसी भावना की आवश्यकता है -बधाई!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteसीना चौड़ा कर रहे , बाँके सभी जवान
देश प्रेम के लिए है , हाजिर अपनी जान .------
मन को भेदती रचना
बहुत सुंदर
बधाई
आग्रह हैं पढ़े
ओ मेरी सुबह--
लघु कविता में नेताओं को छोड़ , अन्य 127 करोड़ भारतियों की देश प्रेम की गहराई और भावनाओं की झलक सहज ही प्रदशित हो रही है.
ReplyDeleteकितना ही अच्छा हो यदि यह कविता मंत्री गन के दफ्तरों में लगी हो ,कभी शायद इसे पढ़ थोडा प्रभाव उन्ह पर भी पड़े .
सेना के विमान खरीद में घपले की जांच से बचने हेतु पायलट की मौत के लिए करवाई विमान दुर्घटना जिसमे .
बहुत सुंदर और गहरी रचना .
शुभ कामनाएँ .