सोच - विचार इसके बारे में क्या कहूं . कुछ लोंगो की सोच आजाद पंछी की तरह खुले
आसमान में विचरण करती है तो वहीँ कुछ लोगो की सोच उनके ही ताने बानो से बने
हुए शिकंजो में कैद होकर रह जाती है है .कुछ दिन पहले कार्यालय में एक सज्जन और उनकी
सहकर्मी महिला से मुलाक़ात हुई. उन्होंने सहज प्रश्न किया आप क्या करती है ?
मैंने कहा - लेखिका हूँ।
महिला रहस्यमयी मुस्कान के साथ बोली - "हा हा क्या लिखती है ?"
" सभी तरह की रचनाएँ, सब कुछ कविताएँ ....!आगे कुछ कह पाती
महिला ने बात काटकर हँसते हुए कहा -
" जी यह भी कोई काम है। कविता सविता, लेखन तो बेकार के लोग करते है , जिन्हें कोई काम नहीं होता है . कवि घर नहीं चला सकते, वैसे भी दुखी लोग कवी बनते हैं !"
अब मुस्कुराने की बारी मेरी थी। ऐसी विचारधारा में संगम करने से अच्छा है हम राह बदल लें। मैने जबाब में मुस्कुरा कर कहा - अपनी अपनी सोच है , एक रचनाकार समाज का आईना होता है। आप लोग जो पत्र पत्रिकाएं पढ़ते हैं उसमे लेखक की मेहनत की रचनाएँ होती है।आप लोग हर पत्रिका में कविता कहानी , लेखन का आनंद लेते है पर लेखक उनकी नजर में कुछ नहीं ?
मै तो यही कहूँगी कि लेखक ही समाज का आइना होता है, जो हर अनुभूति, परिस्थिति, और समय को शब्दों का जामा पहनाकर उसे स्वर्णिम अक्षरों में उकेरता है .और यह सभी कृतियाँ अमिट होती है . यह कोई आसान कार्य नहीं है जिसे हर कोई कर सकता है.
घंटो .......विचारों के मंथन के बाद ही कोई रचना जन्म लेकर आकार में ढलकर जन जन के समक्ष प्रस्तुत होती है. बिना मेहनत ने कोई कार्य नहीं किया जाता है, इसलिए उस कार्य को बेकार कहना कहाँ की समझदारी है, यह तो उसका अस्तिव ही नकारना है .
एक रचनाकार की पीड़ा सिर्फ एक रचनाकार ही समझ सकता है
--- शशि पुरवार
मैंने कहा - लेखिका हूँ।
महिला रहस्यमयी मुस्कान के साथ बोली - "हा हा क्या लिखती है ?"
" सभी तरह की रचनाएँ, सब कुछ कविताएँ ....!आगे कुछ कह पाती
महिला ने बात काटकर हँसते हुए कहा -
" जी यह भी कोई काम है। कविता सविता, लेखन तो बेकार के लोग करते है , जिन्हें कोई काम नहीं होता है . कवि घर नहीं चला सकते, वैसे भी दुखी लोग कवी बनते हैं !"
अब मुस्कुराने की बारी मेरी थी। ऐसी विचारधारा में संगम करने से अच्छा है हम राह बदल लें। मैने जबाब में मुस्कुरा कर कहा - अपनी अपनी सोच है , एक रचनाकार समाज का आईना होता है। आप लोग जो पत्र पत्रिकाएं पढ़ते हैं उसमे लेखक की मेहनत की रचनाएँ होती है।आप लोग हर पत्रिका में कविता कहानी , लेखन का आनंद लेते है पर लेखक उनकी नजर में कुछ नहीं ?
मै तो यही कहूँगी कि लेखक ही समाज का आइना होता है, जो हर अनुभूति, परिस्थिति, और समय को शब्दों का जामा पहनाकर उसे स्वर्णिम अक्षरों में उकेरता है .और यह सभी कृतियाँ अमिट होती है . यह कोई आसान कार्य नहीं है जिसे हर कोई कर सकता है.
घंटो .......विचारों के मंथन के बाद ही कोई रचना जन्म लेकर आकार में ढलकर जन जन के समक्ष प्रस्तुत होती है. बिना मेहनत ने कोई कार्य नहीं किया जाता है, इसलिए उस कार्य को बेकार कहना कहाँ की समझदारी है, यह तो उसका अस्तिव ही नकारना है .
एक रचनाकार की पीड़ा सिर्फ एक रचनाकार ही समझ सकता है
--- शशि पुरवार
शशि जी ,
ReplyDeleteविचारों को शब्दों का जामा पहनाना सबके बस की बात नहीं । सब लोग लेखन को जीविकोपार्जन की दृष्टि से देखते हैं । जो लेखन को व्यर्थ कहते हैं उनकी सोच पर बस तरस ही आता है ।
जीविकोपार्जन में लेखन इतनी मदद नहीं करता , उनका ख्याल शायद यही रहा हो , अधिकांश जनता का यही रुख रहता है
ReplyDeleteसंगीता जी,
ReplyDeleteनमस्ते , हाँ अफ़सोस होता है लोगो की सोच पर, कई सालो से इस तरह के लोग कहीं न कहीं टकरा ही जाते है .
नमस्ते वाणी जी , आपकी बात से सहमत हूँ किन्तु इससे कार्य को छोटा नहीं समझना चाहिए. हर कार्य मेहनत और समय मांगता है
सहमत हूँ आपकी बात से .....
ReplyDeleteसंगीता जी और वाणी जी का कथन भी सही है ......
शशि जी आपकी बातों नहीं भावनाओं से पूर्णतः सहमत
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
घायल की गति, घायल जाने।
behtreen lekhen...
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना मंगलवार 22 जुलाई 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
लेखक ही समाज का आइना होता है, जो हर अनुभूति, परिस्थिति, और समय को शब्दों का जामा पहनाकर उसे स्वर्णिम अक्षरों में उकेरता है .और यह सभी कृतियाँ अमिट होती है . यह कोई आसान कार्य नहीं है जिसे हर कोई कर सकता है........
ReplyDeleteएकदम सही बात! जो लेखन कार्य करता है वही जानता है लिखना कोई बच्चों का खेल नहीं .. ऐसे लोग जो किसी लेखन को हलके में लेते हैं उन्हें एक ही बात कहो लिखकर सबके सामने रखो फिर देखो क्या कहते है दूसरे लोग ....
बहुत अच्छी सार्थक प्रस्तुति
बढ़िया सुंदर लेखन शशि जी धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सार्थक प्रस्तुति।
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