१
थोडा हँस लो जिंदगी, थोडा कर लो प्यार
समय चक्र थमता नहीं, दिन जीवन के चार
दिन जीवन के चार, भरी काँटों
से राहें
हिम्मत कभी न हार, मिलेंगी सुख की बाहें
संयम मन में घोल, प्रेम से नाता जोड़ा
खुशियाँ चारों ओर, भरे घट थोडा थोडा.
२
फैला है अब हर तरफ, धोखे का बाजार
अपनों ने भी खींच ली, नफरत की दीवार
नफरत की दीवार, झुके है बूढ़े काँधे
टेडी मेढ़ी चाल, दुःख की गठरी बांधे
अहंकार का बीज, करे मन को मटमैला
खोल ह्रदय के द्वार, प्रेम जीवन मे फैला .
--- शशि पुरवार
बहत सी सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाइयाँ।
ReplyDeleteuttam
ReplyDeleteसुंदर ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteनई पोस्ट : छठी इंद्री (सिक्स्थ सेंस) बनाम खतरे का संकेतक
bahut sundar................
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
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