shashi purwar writer

Friday, January 12, 2018

बदल गए हालात


अम्बर जितनी ख्वाहिशें,सागर तल सी प्यास
छोटी सी यह जिंदगी, न होती उपन्यास 1

पतझर में झरने लगे, ज्यों शाखों से पात
ममता जर्जर हो गयी , देह हुई संघात 2

अच्छे दिन की आस में, बदल गए हालात
फुटपाथों पर सो रही, बदहवास की रात 3

मनोरंजन के नाम पर, टीवी के परपंच
भूले - बिसरे हो गए, अपनेपन के मंच 4

जिनके दिल में चोर है, ना समझे वो मीत
रूखे रूखे बोल के , लिखते रहते गीत 5

बंद ह्रदय की खिड़कियाँ, बंद हृदय के द्वार
उनको छप्पन भोग भी, लगतें है बेकार 6

बैचेनी दिल में हुई , मन भी हुआ उदास
काटे से दिन ना कटा, रात गयी वनवास 7 
 
शशि पुरवार 
 
 

Thursday, January 4, 2018

साल नूतन


साल नूतन आ गया है
नव उमंगों को सजाने
आस के उम्मीद के फिर
बन रहें हैं नव ठिकाने

भोर की पहली किरण भी
आस मन में है जगाती
एक कतरा धूप भी, लिखने
लगी नित एक पाती

पोछ कर मन का अँधेरा
ढूँढ खुशियों के खजाने
साल नूतन आ गया है
नव उमंगों को सजाने

रात बीती, बात बीती
फिर कदम आगे बढ़ाना
छोड़कर बातें विगत की
लक्ष्य को तुम साध लाना

राह पथरीली भले ही
मंजिलों को फिर जगाने
साल नूतन आ गया है
नव उमंगों को सजाने

हर पनीली आँख के सब
स्वप्न पूरे हों हमेशा
काल किसको मात देगा
जिंदगी का ठेठ पेशा

वक़्त को ऐसे जगाना
गीत बन जाये ज़माने
साल नूतन आ गया है
नव उमंगों को सजाने।
शशि पुरवार


आप सभी को नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ, वर्ष की शुरुआत है सभी मंगलमय हो यही कामना है - स्नेह बना रहे मित्रों सादर - शशि पुरवार


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