shashi purwar writer

Friday, January 11, 2019









तन्हाई मुझको रास आने लगी है

याद की खशबू भी गहराने लगी है
पास होकर भी दूर हैं वह मुझसे
परछाई मुझे गले लगाने लगी है

शशि पुरवार

Monday, January 7, 2019

फगुनाहट ले आना


नए साल तुम कलरव वाली 
इतराहट ले आना 
आँगन के हर रिश्तें में 
गरमाहट ले आना


दुर्दिन वाली काली छाया फिर 
घिरने ना पायें 
सोना उपजे खलियानों में 
खुशहाली लहरायें

सबकी किस्मत हो गुड़ धानी
 
नरमाहट ले आना 
नए साल तुम कलरव वाली 
इतराहट ले आना


हर मौसम में फूल खिलें पर
बंजर ना हो धरती 
फुटपाथों पर रहने वाले 
आशा कभी न मरती

धूप जलाए, नर्म छुअन सी 
फगुनाहट ले आना 
नए साल तुम कलरव वाली 
इतराहट ले आना

ठोंगी कपटी लोगों के तुम 
टेढ़े ढंग बदलना 
बूढ़े घर की दीवारों के 
फीके रंग बदलना

जर्जर होती राजनीति की 
कुछ आहट ले आना 
नए साल तुम कलरव वाली 
इतराहट ले आना

भाग रहे सपनों के पीछे 
बेबस होती रातें 
घर के हर कोने में रखना 
नेह भरी सौगातें

धुंध समय की गहराए पर 
मुस्काहट ले आना 
नए साल तुम कलरव वाली 
इतराहट ले आना

आँगन के हर रिश्तों में 
गरमाहट ले आना 

शशि पुरवार 

सामाजिक मीम पर व्यंग्य कहानी अदद करारी खुश्बू

 अदद करारी खुशबू  शर्मा जी अपने काम में मस्त   सुबह सुबह मिठाई की दुकान को साफ़ स्वच्छ करके करीने से सजा रहे थे ।  दुकान में बनते गरमा गरम...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

🏆 Shashi Purwar — Honoured as 100 Women Achievers of India | Awarded by Maharashtra Sahitya Academy & MP Sahitya Academy