चोका
यह जीवन
है गहरा गागर
सुख औ दुःख
गाड़ी के दो पहिये
धूप औ छाँव
सुख के दिन चार
आँख के आँसू
छलते हरबार
जो पाँव तले
खिसकती धरती
अधूरी प्यास
पहाड़ -सा ह्रदय
शोक -विषाद
अत्यंत मंथर हैं
बोझिल पल
वक़्त की रेतघडी
धीमा है पल
संकल्पों का संघर्ष
फौलादी जंग
आगमन -प्रस्थान
अभिन्न अंग
मुट्ठी से फिसलते
सुखद पल
वक़्त का पग -फेरा
बहता जल
पतझर -सा झरे
दुर्गम पथ
बदलता मौसम
भोर के पल
सुनहरी किरण
परिवर्तन
मोहजाल से मुक्त
वर्तमान के
खुशहाल लम्हों का
करो स्वागत
छिटकी है मुस्कान
जीवन में उदित
नया है रास्ता
खुशियों की तलाश
सुनहरी सौगात .
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हाइकु ---
1 चांदनी रात
नयना बहे नीर
दुःख की पीर .
2 रिश्तो में मिला
पल पल छलावा
मन का दर्द .
3 वक़्त के साथ
भर जाते है जख्म
रिसते घाव .
4 सुख खातिर
करे सारे जतन
कठिन तप
5 पतझर से
झरते है नयन
प्रेम अगन
6
रिश्तो की लड़ी
बिताये हुए पल
है जमा पूंजी .
7
अश्क आँखों के
सुख गए है अब
रीता झरना
8 पीर तन की
अब सही न जाती
वृद्धा आश्रम
9 आँखों में देखा
छलकता पैमाना
सुखसागर
10 खामोश रात्र
सन्नाटे में बिखरी
तेज चीत्कार
11 सुख के सब
होते है संगी साथी
स्वार्थी जहान .
12 तीखे संवाद
दबी है सिसकार
मन की हूक .
13
नन्हे कदम
मोहिनी म्रदु हास्य
खिला अंगना .
15 यह जीवन
आत्मा होती अमर
चंचल मन .
16 तेरे आने की
हवा भी दे सूचना
धडके दिल .
17
सूना अंगना
महका गुलशन
खिले जो फूल .
18 खिली मुस्कान
मासूम बचपन
मन मोहन .
----शशि पुरवार