1
चक्षु ज्ञान के खोलिए,जीवन है अनमोल.
शब्द बहुत ही कीमती,सोच-समझ कर बोल.
सोच-समझ कर बोल,बिगड़ जाते हैं नाते.
रहे सफलता दूर, मित्र भी पास न आते.
मिटे सकल अज्ञान, ग्रन्थ की बात मान के.
फैलेगा आलोक,खोल मन चक्षु ज्ञान के.
शब्द बहुत ही कीमती,सोच-समझ कर बोल.
सोच-समझ कर बोल,बिगड़ जाते हैं नाते.
रहे सफलता दूर, मित्र भी पास न आते.
मिटे सकल अज्ञान, ग्रन्थ की बात मान के.
फैलेगा आलोक,खोल मन चक्षु ज्ञान के.
2
संगति का होता असर,वैसा होता नाम.
सही रहगुजर यदि मिले,पूरे होते काम.
पूरे होते काम ,कभी अभिमान न करना.
जीवन कर्म प्रधान,कर्म से कैसा डरना.
मिले यदि सही साथ,मार्जन होता मति का.
जीवन बने महान,असर ऐसा संगति का.
सही रहगुजर यदि मिले,पूरे होते काम.
पूरे होते काम ,कभी अभिमान न करना.
जीवन कर्म प्रधान,कर्म से कैसा डरना.
मिले यदि सही साथ,मार्जन होता मति का.
जीवन बने महान,असर ऐसा संगति का.
3
समय -शिला पर बैठकर, शहर बनाते चित्र.
सूख गयी जल की नहर, जंगल सिकुड़े ,मित्र.
जंगल सिकुड़े,मित्र,सिमटकर गाँव खड़े हैं .
मिले गलत परिणाम,मानवी-कदम पड़े हैं
बढती जाती भूख,और बढ़ता जाता डर.
लिखें शहर इतिहास,बैठकर समय-शिला पर.
4
4
नेकी अपनी छोड़ कर , बदल गया इंसान
मक्कारी का राज है , डोल गया ईमान
डोल गया ईमान , देखकर रूपया पैसा
रहा आत्मा बेच , आदमी यह कैसा
दो पैसे के हेतु , अस्मिता उसने फेकी
चोराहे पर नग्न , आदमी भूला नेकी
सुंदर सार्थक रचना ...
ReplyDeleteबधाई आपको !
आपको पढना वाकई सुखद है
ReplyDeleteअच्छी रचना
बहुत सुंदर
बेहतरीन कुंडलियाँ |
ReplyDeleteबहुत ही शिक्षाप्रद कुण्डलियाँ..
ReplyDeleteप्रेरक ज्ञान देती बेहतरीन कुंडलियाँ,,,,
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई,,,,
RECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,
sunder kundliyan
ReplyDeletebadhai
rachana