shashi purwar writer

Friday, August 3, 2012

रक्षाकवच ....

हाइकु


१   आया है पर्व 
    राखी का त्यौहार 
      स्नेह उल्लास .

२   सजी दुकाने 
    कलावे रंगबिरंगे
     रेशमी धागे .

३   आई है बहना
   सजी पूजा की थाली
     रेशमी डोरी  .

४   पूजा की थाली 
   रोली चावल बाती
    अन्न मिष्ठान .

५    ललाट टीका
    सजा रोली चावल 
     नेह बरसे  .


६     राखी की डोर 
     स्नेह का है प्रतिक
        रक्षाकवच .

७    रक्षाबंधन  
    आत्मीयता स्नेह 
     मिश्री मिठास .

८   नाजुक डोरी 
   बंधी  कलाई पर 
     है  रक्षाक्षूत्र .
  
  ९   खास तोहफा 
    बरसते आशीष 
      जीवन भर  .



१०   भैया हमारा 
      सर्वदा सकुशल  
      यही है अर्ज .
             --------शशि पुरवार

सदोका ---

१ स्नेह प्रतीक 
 बंधा है मणिबंध
 रेशम  के तागे से 
   रक्षाकवच
 अटूट है बंधन
 बहिन का भाई से .


२  सजे बाजार 
    शबल परिधान 
   मखमली राखियाँ 
    अन्न मिष्ठान 
  पूजा की थाली संग
   है स्नेहिल मुस्कान .

३  सजी रंगोली 
   किया  है अनुष्ठान  
   पूजा व्रत विधान 
    भाई के नाम 
   ईश्वर से कामना
    सर्वथा संरक्षित  .

 ४  भैया मोरे तू 
   रिश्ते की प्रतिष्ठा
   अब तेरे ही हाथ 
     रक्षाकवच 
   सदा रहेगा साथ
   स्नेहिल ये बंधन .
            -------  शशि पुरवार 

 


 
 




 


 

9 comments:

  1. वाह...
    बहुत सुन्दर...
    त्यौहार का हर रंग बिखरा दिया आपने...
    अनु

    ReplyDelete
  2. वाह बेहतरीन रचना बहुत-२ बधाई
    (अरुन शर्मा = arunsblog.in)

    ReplyDelete
  3. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
    बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी.


    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/

    ReplyDelete
  4. बहुत -बहुत सुन्दर प्यारी रचना..
    शुभकामनाये...
    :-)

    ReplyDelete
  5. सुन्दर हाईकू के लिए बधाई |

    ReplyDelete

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