१
चाँदी की थाली सजी, तारों की सौगात
अंबर से मिलने लगी, प्रीत सहेली रात।
२
रात सुरमई मनचली, तारों लिखी किताब
चंदा को तकते रहे, नैना भये गुलाब।
३
आँचल में गोटे जड़े, तारों की बारात
अंबर से चाँदी झरी, रात बनी परिजात।
अंबर से चाँदी झरी, रात बनी परिजात।
४
रात शबनमी झर रही, शीतल चली बयार
चंदा उतरा झील में, मन कोमल कचनार।
५
सरसों फूली खेत में, हल्दी भरा प्रसंग
पुरवाई से संग उडी, दिल की प्रीत पतंग
६
हल्दी के थापे लगे, मन की उडी पतंग।
सखी सहेली कर रहीं, कनबतियाँ रसवंत
७
कल्पवृक्ष वन वाटिका, महका हरसिंगार
वन में बिखरी चाँदनी, रात करें श्रृंगार।
८
तिनका तिनका जोड़कर, बना अधूरा नीड़
फूल खिले सुन्दर लगे, काँटों की है भीड़।
फूल खिले सुन्दर लगे, काँटों की है भीड़।
९
गुल्ली-डंडा,चंग पौ, लट्टू और गुलेल
लँगड़ी,कंचे,कौड़ियाँ, दौड़ी मन की रेल१०
भक्ति भाव में खो गए, मन में हरि का नाम
प्रेम रंग से भर गया वृंदावन सुख धाम
११
धूं धूं कर लकड़ी जले, तन में जलती पीर
धूं धूं कर लकड़ी जले, तन में जलती पीर
रूप रंग फिर मिट गया, राजा हुआ फ़क़ीर।
१२
अपनों ने ही खींच दी, आँगन पड़ी लकीर
आँखों से झरता रहा, दुख नदिया का नीर .
१३
धरती भी तपने लगी, अम्बर बरसी आग
आँखों को शीतल लगे, फूलों वाला बाग़
१४
चटक नशीले मन भरे, गुलमोहर में रंग
घने वृक्ष की छाँव में, मनवा मस्त मलंग।
१५
सूरज भी चटका रहा, गुलमोहर में आग
भवरों को होने लगा, फूलों से अनुराग
शशि पुरवार
बहुत सुंदर दोहे
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना.
ReplyDeleteरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत सुन्दर दोहे ..
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (14-07-2017) को "धुँधली सी रोशनी है" (चर्चा अंक-2667) (चर्चा अंक-2664) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "प्यार का मोड़ और गूगल मॅप“ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर...
ReplyDeleteरात सच सुरमयी हो गयी .
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