Friday, July 29, 2011

ऐ मेरे चाँद।

   जिन्हें   मै  पा  नहीं  सकूं  .  तू  मत  दिखा  मुझे   वो   नज़ारे  











ऐ  चाँद ,

ऐ  चाँद  ,
 तू   मत   कर  वो  इशारे  
   जिन्हें   मै  समझ   न  सकूं  .

 ऐ   चाँद  ,
  तू   मत   समा  मेरे  दिल  में  इतना 
  कि  तुझे   मै   छिपा  न   सकूं .

 ऐ   चाँद  ,
  तू  मत   दूर  जा   मुझसे  ,
  कि  तेरे   बिन  रह   भी  न   सकूं  .

  ऐ   मेरे   चाँद ,
  डूब  जाने   दे  मुझे  तेरे  प्यार   में 
 इतना  कि  खुद   को  भी  मै   याद  न   आ  सकूं .

 ऐ   चाँद   ,
  पिला   तेरे   प्यार  का  जाम  इतना  कि  
  कभी   होश  में  ही  ना   आ   सकूं .......!
 
                                  : शशि  पुरवार


 ये    कविता  मैंने   चांदनी   रात  में  चाँद   को  देख  कर  लिखी   थी  , यह  कविता   समाचार  पत्रों    व   कुछ   पत्रिकाओ  में  भी  छप   चुकी   है .

3 comments:

  1. One of your best...and one of my favs!

    Love,
    Shaifali

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  3. बहुत प्यारी रचना

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.



समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

http://sapne-shashi.blogspot.com