shashi purwar writer

Tuesday, May 8, 2012

तपन की है प्यास


१) जलता भानु
उष्णता की चुभन
रातें भी नम.

२) रसीली आस
तपन की है प्यास
शीतल जल .

३) कैरी का पना
आम की बादशाई
खूब है भाई .

४ ) बर्फ का गोला
रंगबिरंगी कुल्फी
गर्मी भगाई

५ ) पानी की तंगी
मचा है हाहाकार
गर्मी की मार .

6) वृक्ष रोपण
सुरक्षा का कवच
है हरियाली .
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दो तांका--

१) बीतता पल
सुनहरी डगर
भविष्य निधि
निर्माणधीन आज
कर्म की बढती प्यास .

२) कल की बाते
पीछे छूट जाती है
आने वाला है
भविष्य का प्रहर
नयी है शुरुआत .
-- शशि पुरवार
 
दोस्तो मै बाहर टूर पर होने  के कारण ब्लॉग पर नही आ सकती .वापिस आकर जल्दी ही आप सबसे मिलती हूँ तब तक के लिए आज्ञा दे ......आप सभी के दिन और गर्मियो के पल आनंदमयी हो .......इसी कामना के साथ आपसे विदा लेती हूँ . जून में आपसे मुलाक़ात होगी .
 

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