रोजी रोटी की खातिर
रोजी रोटी की खातिर,फिर
चलने का दस्तूर निभाये
क्या छोड़े, क्या लेकर जाये
नयी दिशा में कदम बढ़ाये।
चिलक चिलक करता है मन
बंजारों का नहीं संगमन
दो पल शीतल छाँव मिली, तो
तेज धूप का हुआ आगमन
चिंता ज्वाला घेर रही है
किस कंबल से इसे बुझाये।
हेलमेल की बहती धारा
बना न, कोई सेतु पुराना
नये नये टीले पर पंछी
नित करते हैआना जाना
बंजारे कदमो से कह दो
बस्ती में अब दिल न लगाये।
क्या खोया है, क्या पाया है
समीकरण में उलझे रहते
जीवन बीजगणित का परचा
नितदिन प्रश्न बदलते रहते
अवरोधों के सारे कोष्टक
नियत समय पर खुलते जाये।
-- शशि पुरवार
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
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क्या खोया है, क्या पाया है
ReplyDeleteसमीकरण में उलझे रहते
जीवन बीजगणित का परचा
नितदिन प्रश्न बदलते रहते
अवरोधों के सारे कोष्टक
नियत समय पर खुलते जाये।
अहसासों को गणित से जोड़ने की ये कला पसंद आई।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (10-02-2015) को 'चाकलेट-डे' चोंच में, लेकर आया बाज ; चर्चा मंच 1885 पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
sundar prastuti
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नवगीत दीदी
ReplyDeletehttp://shabdsugandh.blogspot.in/
हेलमेल की बहती धारा
ReplyDeleteबना न, कोई सेतु पुराना
नये नये टीले पर पंछी
नित करते हैआना जाना
बंजारे कदमो से कह दो
बस्ती में अब दिल न लगाये।
...वाह..बहुत सुन्दर और भावपूर्ण नवगीत....
aa. ankur ji , jyot ji , adarniy sharma ji , adarniy ravivar ji आप सभी आदरणीय मित्रों सुधीजनों का हार्दिक धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नवगीत।
ReplyDeleteचलते रहने से नम्जिल मिल जाती है ... प्रयास इमानदार होना चाहिए ...
ReplyDeleteसुन्दर भाव पूर्ण नवगीत ...
अति सुन्दर भाव सुन्दर कविता ..
ReplyDeleteहेलमेल की बहती धारा
ReplyDeleteबना न, कोई सेतु पुराना
नये नये टीले पर पंछी
नित करते हैआना जाना
बंजारे कदमो से कह दो
बस्ती में अब दिल न लगाये।
अति सुन्दर. यथार्थ विवरण। प्रेरणादायक।वधाई।
एक चिड़िया भी अपने शिशु चिड़िया को उसके पंख अपने पंखों में लेकर उसे उड़ना सिखलाती है. पहले 2 -3 प्रयासों में शिशु असफल हो जाता है लेकिन चौथे पांचवें प्रयास में बह आकाश में उड़ान भर लेता है. उड़ान ही उसकी पहचान है.
गूढ़ ज्ञान आश्चर्य जनक बात यह है की चिड़िया माँ जानती है कि इक बार उड़ान भरने के बाद उसका बच्चा उसे मिलने कभी पूण: उससे मिलने नहीं आएगा।
अति सुन्दर. यथार्थ विवरण। प्रेरणादायक।वधाई।
एक चिड़िया भी अपने शिशु चिड़िया को उसके पंख अपने पंखों में लेकर उसे उड़ना सिखलाती है. पहले 2 -3 प्रयासों में शिशु असफल हो जाता है लेकिन चौथे पांचवें प्रयास में बह आकाश में उड़ान भर लेता है. उड़ान ही उसकी पहचान है.
गूढ़ ज्ञान आश्चर्य जनक बात यह है की चिड़िया माँ जानती है कि इक बार उड़ान भरने के बाद उसका बच्चा उसे मिलने कभी पूण: उससे मिलने नहीं आएगा।
जब नरेंद्र दत्त -स्वामी विवेकानंद पहली बार रामकृष्ण परमहंस जी से मिले उन्होंने उसे पिछले जन्मो से जुड़े गुरु शिष्य से पहचान लिया। उसे मिल कर बहुत रोये। कोई बंगाली गीत गाने को कहा।
नरेंद्र ने गीत गया -मोनो चलो निजो निकिताने। रे मन एक बार चलो अपने असली घर। . पांच तत्व हमारे नहीं ,अनजान धरती ,अजनबी लोग. You can listen to it on U tube.
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