ओह सुबह हो गयी... जल्दी से गुड मोर्निंग कह दूं, .... ओह हो अभी अभी मंजन किया है ... जरा कोलगेट स्माइल दिखा दूँ .... आज तो बाहर डिनर है ... आज मैंने क्या खाया पहले जल्दी से जरा शेयर तो कर दूं .. दो चार पंक्ति भी लिख दूं ... वाह वाह लाइक पर लाइक और इतने सारे कमेंट्स ..... आनंद आ गया ... मै तो छा गया ... अपना छाया चित्र भी बदल लेता हूँ ......फेसबुक ने तो जिंदगी के मायने बदल दिए हैं, कौन कहता है कि मै परवाह नहीं करता ..... माँ के साथ चित्र .. दादी के जन्मदिन की तस्वीर ...... भेले ही दादी – माँ को ज्ञात ही ना हो कि आज उनका जन्मदिन इतनी धूम धाम से मनाया गया है ... तस्वीरे क्या बयाँ कर रही है और हकीकत क्या है..... यह तो अल्लाह ही जाने .... पर एक बात तो साफ़ हो गयी है दादी आज फेमस हो गयी .है ....... बेटा वाह वाही लूट रहा है ... दादी इसी बात से खुश है चलो उसके साथ किसी ने एक तस्वीर तो खीचीं है ....! भले घर में किसी को गुड मोर्निंग या गुड नाईट नहीं कहेंगे किन्तु फेसबुक को कहना नहीं भूलते ... अब तो दिन रात बस माला जपते रहो और कहो ---फेसबुक बाबा की जय .
कौन कहता है दुनिया सिमट गयी है लोग बदल गए हैं ,भाई अब तो जिंदगी एक खुली किताब हो गयी है.
परियों की कथाओं की तरह एक नयी दुनियाँ ने जन्म लिया और सबको अपने मोहपाश मे ऐसा बाँधा की कोई भी इससे बच नहीं पाया जिंदगी के मायने बदल गए हैं जीवन बंद कमरों से निकलकर बाहरी दुनिया से जुड़ गया है. हाँ जी हम बात कर रहे है सोशल मिडिया फेसबुक की. जो आजकल घुसपैठ की तरह हमारे जीवन में घुस गया है .
हाँ जी यह वही फेसबुक है .... जिसने आम आदमी को भी आज खास बना दिया है, या यों कहे कि सुपरस्टार बना दिया है . शुरू शुरू में चर्चा थी फेसबुक आया है, अमीरों के चोचले ......कब आम जीवन की जरुरत बन गए किसी को भनक नहीं नहीं पड़ी . अकेले घर में बैठे बैठे लोग जहाँ अपने अड़ोसी पडोसी से कट गए वहीँ फेसबुक के जरिये पूरी दुनियाँ से जुड़ गए हैं, कितना सच है कितना झूठ कोई नहीं जानता किन्तु झूठ का बड़ा सा मायाजाल ऐसा फैला हुआ है जिसकी चमक में सब धुंधला पड़ गया है. एक ऐसा नशा जो सर चढ़ कर बोलता है .
ऐसी बात नहीं है कि यहाँ सिर्फ धोखा ही है ..... फेसबुक भी अनेक रंगों से सजा मायाजाल है अच्छाई है तो बुराई भी ... फेसबुक हर भाषा में मौजूद है ..लोगों की जरुरत के अनुसार इसे किसी भी भाषा में लिख सकतें है . और लोग इसकी उँगलियों पर नाच रहे हैं .लोग हिंदी भी सीख रहें है , हिंदी लिख रहें हैं ... एक बात की बहुत हैरानी होती है .... हिंदी में खुद को महान दिखाना भी नहीं भूलते हैं , भेड़ चाल की तरह भारी भारी शब्दों का प्रयोग ..क्लिष्ट भाषा ... भले ही पूर्णतः समझ में नहीं आये ... पन्ने पर पन्ने भरते चले जायेंगे, उफ़ पढ़ कर कई बार ऐसा लगने लगता है कि जो भाषा आम आदमी की है ... वह तो उसकी समझ से भी बाहर हो गयी. खैर .... कलयुग सच में कलयुग ही है. किन्तु डिक्सनरी से भारी शब्दों को ढूंढकर लिखना कोई मजाक नहीं है बड़ी मेहनत लगती है . हर त्यौहार पर फेसबुक के पन्ने भारी भरकम शब्दों से सजे अपनी ठसक दिखाते रहतें है .
आज बंद कमरों में बैठे जोड़े आपस में तो बात नहीं करते है, किन्तु फेसबुक पर विचारों का आदान प्रदान जरुर शुरू रहता है .... जहाँ कई बुराईया व धोखा धडी बढ़ी है वहीँ कुछ अच्छा पक्ष भी है। अच्छे लोगों से मिलना जुड़ना विचारों का आदान प्रदान हर क्षेत्र की उपलब्धि की कहानी कहता है .
लिखने पढने और अन्य क्षेत्र में रूचि रखने वालों के लिए यह खुला मंच है जहाँ उसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है .... और कुछ अच्छे लोगो का सानिध्य भी प्राप्त होता है . जब अच्छाई है तो बुराई भी दो कदम आगे चल रही है .कई धूर्त लोग तो यहाँ गुरु बनकर ज्ञान बाँटते नजर आते है .भले उतना ज्ञान ही ना हो , यहाँ हर कोई महान है चमकता सितारा है .सब कुछ आभासी है. आभासी दुनिया का ऐसा दलदल में जहाँ कोई सितारा अंधेरों में खो जाता है तो कोई नयी रौशनी ग्रहण करके आसमान में चमकता रहता है ...जो भी है जैसा भी है यह फेसबुक हमारा है जिसके बिना लोगों की साँसे थमने लगती हैं . धीरे धीरे ग्रसित कर रहा यह रोग अंततः किस स्थिति में ले जायेगा कहना असंभव है ...विद्यार्थी और छोटे बच्चों को भी इस रोग ने अपनी चपेट में ले लिया है एक तरह से बच्चों का भविष्य दौंव पर लगा हुआ है पढाई से विमुख होते यह बच्चे सोसल मिडिया की चपेट में बुरी तरह फँस रहे हैं उन्हें भविष्य की चिंता ही नहीं है मिडिया का आकर्षण उन्हें चोरी चुपके कई गलत मार्ग दिखा रहा है .....इससे आज महिलाएं भी दूर नहीं है ..अपनी ज्ञान पिपासा को शांत करने के लिए यह मिडिया जितना कारगर है उतना ही गलत कृत्य को अंजाम .देने का जिम्मेदार भी है ....... इस आभासी दुनिया के मायाजाल में फिलहाल पूरी दुनियाँ रम गयी है . हर कोई भोले शंकर को भूलकर दिन रात भजन गा रहा है –
वाह वाह अब आप जरा फेसबुक पर हर त्यौहार कमाल भी तो देखिये,
लो जी भइया अब तो होली भी आ गयी, जे बात... अब तो हर तरफ आनंद ही आनंद है, नजरें तस्वीरों में गड़ी रहेंगी, और अपनी आँखे सेकेंगी, बिना पानी और बिना रंग के शब्दों की होली कहीं देखि है भइया , नहीं देखि हो तो फेसबुक पर आ जाओ, शब्दों की मार, रंगबिरंगी तस्वीरों की बौझार, आभाषी दुनियां का जमकर प्यार , आय हाय, ऐसी होली के क्या कहने, घर बैठे पूरी दुनियां के संग होली खेल रहें है, और दुनियां आपको होली खेलते हुए देख भी रही हैं, जिन्होंने बाहर होली नहीं खेली वह तो घर बैठकर जो होली खेल रहें है उसका होली का असीम सुख चारदीवारी के अंदर ले रहें है. घर वालों को तो नहीं किन्तु दुनियां को तो होली का आनंद लोगों ने दिखा. ही दिया है फेसबुक बाबा की जय .
फेसबुक सिर्फ सामान्य लोगों के लिए ही नहीं अपितु कलाकार , राजनीतिज्ञ , मिडिया सभी को एक सूत्र में पिरोने का कार्य कर रहा है. सभी यहाँ अपना अपना साम्राज्य स्थापित करने में लगे हुए हैं। दोस्ती के नाम पर स्वार्थ की अंधी दौड़ जारी है। कहतें है स्वतंत्र देश में सभी को वैचारिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है, किन्तु यह भी देखा गया है कि अपने विचार को अबगत करना कुछ लोगों को बहुत भारी पड़ा है जिसका फायदा राजनीतीक दल ने भली भांति उठाया है.उदारहण के लिए कुछ नेताओ ने अपनी अपनी पार्टी का यहाँ प्रचार शुरू किया और कुछ को लपेटे में लिया , भाई केजरीवाल को ही ले लीजिये , यहाँ तो अण्णा हजारे का भी पन्ना बना था जिसे पब्लिक ने सर माथे पर बैठायाखूब राजनीती खेली गयी दोस्ती और दुशमनी यहाँ भी अपने पांव पसार चुकी हैं, भाई फेसबुक नया है इंसान की फितरत तो वहीँ हैं ना, जिसे ब्रम्हा भी आ जाएँ तो नहीं बदल सकतें हैं
--शशि पुरवार
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-10-2015) को "चिड़ियों की कारागार में पड़े हुए हैं बाज" (चर्चा अंक-2125) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
फेसबुक एक सूत्र में पिर्रोने का कार्य भी कर रहा है, और उतना ही एक दुसरे के विरुद्ध भड़का भी रहा है .........
ReplyDeleteफेसबुक नहीं यह तो फास्टबुक है जहाँ दौड़ रहे है भाग रहे हैं लोग बाग़ फुर्सत नहीं किसी को.… अच्छाई है तो बुराई भी होगी जिसे जो चाहे वह मुफ्त में ले सकता है यहाँ से …
ReplyDeleteअच्छी विचार प्रस्तुति
फ़ेसबुक व्यक्तिगत अधिक हो या सामाजिक यही समझने का प्रयत्न करती रहती हूँ ,
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ReplyDeleteआप की लिखी ये रचना....
11/10/2015 को लिंक की जाएगी...
http://www.halchalwith5links.blogspot.com पर....
आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित हैं...
बहुत रोचक लेख !!!!!! वाह !!!!!!
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