बूझो तो जाने। ..
१
सुबह सवेरे रोज जगाये
नयी ताजगी लेकर आये
दिन ढलते, ढलता रंग रूप
क्या सखि साजन ?
नहीं सखि धूप
२
साथ तुम्हारा सबसे प्यारा
दिल चाहे फिर मिलूँ दुबारा
हर पल बूझू , एक पहेली
क्या सखि साजन ?
नहीं सहेली।
३
रोज,रात -दिन, साथ हमारा
तुमको देखें दिल बेचारा
पल जब ठहरा, मैं, रही खड़ी
क्या सखि साजन ?
ना सखी घडी।
४
तुमसे ही संसार हमारा
ना मिले तो दिल बेचारा
पाकर तुमको हुई धनवान
क्या सखि साजन ?
नहीं सखि ज्ञान।
शशि पुरवार
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
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बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-12-2016) को "ये भी मुमकिन है वक़्त करवट बदले" (चर्चा अंक-2546) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुभ प्रभात
ReplyDeleteअच्छी कहमुकरी
पर ये रचना श्री रमेशराज जी अलीगढ़ वालो की है
इसके कुछ अंश मैने मेरी धरोहर मे प्रकाशित किया था
कृपया देखेंं
गहरे जल में झट लै जाय............रमेशराज
निवेदन...
कृपया रचनाकार का नाम संशोधित करें
सादर
नमस्कार
ReplyDeleteयशोदा जी मुझे इस सन्दर्भ में कुछ ज्ञात नहीं है , मैंने उन्हें कल लिखा था और पोस्ट किया, मैंने रमेश जी या अन्य किसी की कहमुकरी नहीं पढ़ी हैं , कई बार ऐसा हो जाता है कि दो लोगों के विचार एक जैसे आये हैं ऐसा मेरे गीत के साथ हो चुका था , मेरे ही गीत की पंक्तियाँ अन्य किसी के गीतों में मिली और मेरा गीत पहले रचा गया था , आपने जानकारी दी आभार। हम किसी की रचना से मेल होते हुए भाव लिखना पसंद नहीं करतें हैं
सादर
शशि पुरवार
kripaya mukhe link den .
मैं कभी किसी के भाव नहीं लेती
Deleteयह मेरी कलम कीसत्यता की बात है
यदि ऐसा है तो मैं ब्लॉग पोस्ट हटा दूँगी
यह कह मुकरी मैंने गत वर्ष फेसबुक पर शेयर की थी
यशोदा जी आपने डरा ही दिया , कहमुकरी इसी प्रकार लिखी जाती हैं रमेश राज जी के भाव और कहमुकरी अलग है मेरी अलग कृपया आप देखें।
Deletehttp://4yashoda.blogspot.in/2016/09/blog-post_12.html
आपके इस प्रश्न में मेरे ऊपर प्रश्नचिन्ह लगाया है यह गरिमा का सवाल है। यह उचित नहीं है, आप तो शुरुआत में मुझे पढ़ रही है
शुभ प्रभात दीदी
ReplyDeleteसादर नमन
दुबारा फिर से पढ़ी मैं
दोनो रचनाएँ
अंतर जाना
मैंं मात्र पाठिका हूँ...लेखन का मर्म कम ही समझती हूँ
किसी ने कहा है..कि एक अच्छा पाठक भी लिख सकता है
सो पढ़ती ही हूँ...लिखने की प्रत्याशा में
क्षमा याचना सहित..
यशोदा
ha ha ha interestingMOUTH WATERING RECIPES OF INDIA
ReplyDeletenice
ReplyDeleteMOUTH WATERING RECIPES OF INDIA