घुमड़ घुमड़ कर आये बदरा
मनभावन, बनी तसवीर.
मनभावन, बनी तसवीर.
घन घन घन, घनघोर घटाएँ
गाएँ मेघ - राग मल्हार
झूमे पादप, सर्द हवाएँ
खुशियों का करें इजहार।
गाएँ मेघ - राग मल्हार
झूमे पादप, सर्द हवाएँ
खुशियों का करें इजहार।
चंचल बूँदों में भीगा, सुधियों
से खेले मन - अबीर
घुमड़ घुमड़ कर आये बदरा ..!
से खेले मन - अबीर
घुमड़ घुमड़ कर आये बदरा ..!
अटे-पटे से वृक्ष घनेरे
पात-पात ढुलके पानी
दबी आग फिर लगी सुलगने
ज्यूँ महकीं याद पुरानी
पात-पात ढुलके पानी
दबी आग फिर लगी सुलगने
ज्यूँ महकीं याद पुरानी
शतदल के फूलों से गिरतें
जल- कण, दिखतें हैं अधीर.
घुमड़ घुमड़ कर आये बदरा ..!
जल- कण, दिखतें हैं अधीर.
घुमड़ घुमड़ कर आये बदरा ..!
विकल ह्रदय से, प्रिय दिन बीता
याद तुम्हारी गरमाई
दादुर, झींगुर गान सुनाएँ
रात अँधेरी गहराई.
याद तुम्हारी गरमाई
दादुर, झींगुर गान सुनाएँ
रात अँधेरी गहराई.
मंद रौशनी में इक साया
गुने शब्द-शब्द तहरीर.
घुमड़ घुमड़ कर आये बदरा ..!
गुने शब्द-शब्द तहरीर.
घुमड़ घुमड़ कर आये बदरा ..!
------- शशि पुरवार