नव पीढी ने रच दिया, यह कैसा इतिहास
बूढी सॉंसें काटती, घर में ही वनवास १
बूढी सॉंसें काटती, घर में ही वनवास १
दौलत का उन्माद है, मदहोशी में चूर
रिशते आँखों में चुभे, ममता चकनाचूर २
रिशते आँखों में चुभे, ममता चकनाचूर २
शहरों में खोने लगा, अपनेपन का भाव
जो अपना मीठा लगे, देता मन पर घाव ३
जो अपना मीठा लगे, देता मन पर घाव ३
बंद हृदय में खिल रहे, संवेदन के फूल
छंद रचे मन बाबरा, शब्द शब्द माकूल ४
छंद रचे मन बाबरा, शब्द शब्द माकूल ४
एक अजनबी से लगे,अंतर्मन जज्बात
यादों की झप्पी मिली, मन, झरते परिजात ५
ऐसे पल भर में उड़े, मेरे होशहवास
बदहवास सा दिन खड़ा, बेकल रातें पास ६
यादों की झप्पी मिली, मन, झरते परिजात ५
ऐसे पल भर में उड़े, मेरे होशहवास
बदहवास सा दिन खड़ा, बेकल रातें पास ६
- शशि पुरवार
सुन्दर
ReplyDeletehardik dhnyavad
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (25-12-2017) को "क्रिसमस का त्यौहार" (चर्चा अंक-2828) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
bahut bahuat hardik dhnyavad
Deleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteshukriya lokesh ji
Deleteदिनांक 26/12/2017 को...
ReplyDeleteआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
सार्थक रचना
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब हैं सभी दोहे ...
ReplyDeleteaap sabhi blogger mitron ka hraday se abhar , aapki anmol pratikriya ne rachna ko khas bana diya hai abhar sneh yun hi bana rahe
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ,सार्थक....
ReplyDeleteवाह!!!
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'शुक्रवार' २९ दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteवाह ! सुन्दर सार्थक दोहे ! बहुत खूब !
ReplyDeleteवर्तमान समय का दर्शन कराती सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह!!बहुत खूब!!
ReplyDeleteआदरनीय शशि जी - मर्मस्पर्शी रचना है आपकी -- सार्थक लेखन के लिए हार्दिक बधाई --
ReplyDeleteaap sabhi ka hardik dhnyavad mitron
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