१
गंगा के तट पर सभी, मानव करते काम
धोना कपडा व पूजा, धरम करम के नाम
धरम करम के नाम, करें तर्पण चीजों का
पाप पुण्य संग्राम, विषैला मन बीजों का
कहती शशि यह सत्य, न करो नदी से पंगा
अतुल गुणों की खान, विषैली होती गंगा
गंगा के तट पर सभी, मानव करते काम
धोना कपडा व पूजा, धरम करम के नाम
धरम करम के नाम, करें तर्पण चीजों का
पाप पुण्य संग्राम, विषैला मन बीजों का
कहती शशि यह सत्य, न करो नदी से पंगा
अतुल गुणों की खान, विषैली होती गंगा
२
माता तेरे द्वार का, खुला हुआ दरबार
भक्त सभी आतें यहाँ, मन का हो उपचार
मन का हो उपचार, न कोई संकट आये
भ्रम का मायाजाल, मन को ही भरमाये
कहती शशि यह सत्य, खुला यहीं बही खाता
