१
गंगा के तट पर सभी, मानव करते काम
धोना कपडा व पूजा, धरम करम के नाम
धरम करम के नाम, करें तर्पण चीजों का
पाप पुण्य संग्राम, विषैला मन बीजों का
कहती शशि यह सत्य, न करो नदी से पंगा
अतुल गुणों की खान, विषैली होती गंगा
गंगा के तट पर सभी, मानव करते काम
धोना कपडा व पूजा, धरम करम के नाम
धरम करम के नाम, करें तर्पण चीजों का
पाप पुण्य संग्राम, विषैला मन बीजों का
कहती शशि यह सत्य, न करो नदी से पंगा
अतुल गुणों की खान, विषैली होती गंगा
२
माता तेरे द्वार का, खुला हुआ दरबार
भक्त सभी आतें यहाँ, मन का हो उपचार
मन का हो उपचार, न कोई संकट आये
भ्रम का मायाजाल, मन को ही भरमाये
कहती शशि यह सत्य, खुला यहीं बही खाता
बहुत सुन्दर कुंडलियां
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19.04.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2945 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
very nice
ReplyDeletehttp://bulletinofblog.blogspot.in/2018/04/blog-post_19.html
ReplyDeleteअति सुंदर ।
ReplyDeleteaap sabhi sudhijanon ka hardik dhnyavad , aapki anmol pratikriya ne hamen protsahit kiya
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteसुन्दर कुण्डलियां.
ReplyDeleteनिमंत्रण
ReplyDeleteविशेष : 'सोमवार' २३ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में दो अतिथि रचनाकारों आदरणीय सुशील कुमार शर्मा एवं आदरणीया अनीता लागुरी 'अनु' का हार्दिक स्वागत करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
बहुत सुन्दर कुंडलियाँ !!!!!
ReplyDeleteहिन्दीकुंज,हिंदी वेबसाइट/लिटरेरी वेब पत्रिका