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भारी सिर पर बोझ है, ना उखड़ी है श्वास
राहें पथरीली मगर, जीने में विश्वास
जीने में विश्वास, सधे क़दमों से चलना
अधरों पर मुस्कान, न मुख पर दुर्दिन मलना
कहती शशि यह सत्य, तोष है सुख की क्यारी
नहीं सालता रोग, काम हो कितने भारी
जीवन तपती रेत सा, अंतहीन सी प्यास
झरी बूँद जो प्रेम की, ठहर गया मधुमास
ठहर गया मधुमास, गजब का दिल सौदागर
बूँद बूँद भरने लगा, प्रेम अमरत्व की गागर
कहती शशि यह सत्य, उधेड़ों मन की सीवन
भरो सुहाने रंग, मिला है सुन्दर जीवन
शशि पुरवार
भारी सिर पर बोझ है, ना उखड़ी है श्वास
राहें पथरीली मगर, जीने में विश्वास
जीने में विश्वास, सधे क़दमों से चलना
अधरों पर मुस्कान, न मुख पर दुर्दिन मलना
कहती शशि यह सत्य, तोष है सुख की क्यारी
नहीं सालता रोग, काम हो कितने भारी
जीवन तपती रेत सा, अंतहीन सी प्यास
झरी बूँद जो प्रेम की, ठहर गया मधुमास
ठहर गया मधुमास, गजब का दिल सौदागर
बूँद बूँद भरने लगा, प्रेम अमरत्व की गागर
कहती शशि यह सत्य, उधेड़ों मन की सीवन
भरो सुहाने रंग, मिला है सुन्दर जीवन
शशि पुरवार
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12.07.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3030 में दिया जाएगा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद