नमस्कार मित्रों आपसे साझा करते हुए बेहद प्रसन्नता हो रही है कि--
शशि पुरवार का दूसरा संग्रह * " धूप आँगन की " ** भी बाजार में उपलब्ध है।
धूप आँगन की " जैसे आँगन में चिंहुकती हुई नन्ही परी की अठखेलियां, कभी
ठुमकना तो कभी रूठ जाना,कभी नेह की गुनगुनी धूप में पिघलता हुआ मन है ,
कभी यथार्थ की कठोर धरातल पर पत्थरों सा धूप में सुलगता हुआ तन है . कभी
बंद पृष्ठों में महकते हुए मृदु एहसास हैं तो कहीं मृगतृष्णा की सुलगती
हुई रेतीली प्यास है। कहीं स्वयं के वजूद की तलाशती हुई धूप है तो कहीं
विसंगतियों में सुलगती हुई धूप की आग है । हमारे परिवेश में बिखरे हुए
संवेदना के कण है - धूप का आँगन
क्यों न अपने स्नेह की नर्म धूप से सहला दें। आओ इक सुन्दर सा आकाश बना ले।
हमारे प्रयास आपके दिलों ने इक छोटा सी जगह बना ले। आंगन की धूप को आप
अपने हृदय से लगा ले. हम आपके प्यार को अपना आकाश बना ले। आंगन की धूप से
सुप्त कणों को जगा दे।
शशि पुरवार
शशि पुरवार का दूसरा संग्रह * " धूप आँगन की " ** भी बाजार में उपलब्ध है।
धूप आँगन की " जैसे आँगन में चिंहुकती हुई नन्ही परी की अठखेलियां, कभी
ठुमकना तो कभी रूठ जाना,कभी नेह की गुनगुनी धूप में पिघलता हुआ मन है ,
कभी यथार्थ की कठोर धरातल पर पत्थरों सा धूप में सुलगता हुआ तन है . कभी
बंद पृष्ठों में महकते हुए मृदु एहसास हैं तो कहीं मृगतृष्णा की सुलगती
हुई रेतीली प्यास है। कहीं स्वयं के वजूद की तलाशती हुई धूप है तो कहीं
विसंगतियों में सुलगती हुई धूप की आग है । हमारे परिवेश में बिखरे हुए
संवेदना के कण है - धूप का आँगन
क्यों न अपने स्नेह की नर्म धूप से सहला दें। आओ इक सुन्दर सा आकाश बना ले।
हमारे प्रयास आपके दिलों ने इक छोटा सी जगह बना ले। आंगन की धूप को आप
अपने हृदय से लगा ले. हम आपके प्यार को अपना आकाश बना ले। आंगन की धूप से
सुप्त कणों को जगा दे।
शशि पुरवार
बहुत अच्छी रचना .धन्यवाद
ReplyDeleteहिन्दीकुंज,हिंदी वेबसाइट/लिटरेरी वेब पत्रिका
बहुत अच्छा लगा , यह बहुत अच्छी रचना है आप का बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteVisit exam notes!
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 02/02/2019 की बुलेटिन, " डिप्रेशन में कौन !?“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बधाई सुंदर प्रकाशन हेतू।
ReplyDeleteप्रस्तुत कविता बहुत सुंदर।।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (04-02-2019) को चलते रहो (चर्चा अंक-3237) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteआप सभी को नव-वर्ष 2019 की पांच लिंक परिवार की ओर से अग्रिम शुभकामनाएं.....
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 05/02/2019
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबेहतरीन ।।।। बहुत-बहुत बधाई आदरणीय शशी पुरवार जी।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
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