Monday, July 22, 2013
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
समीक्षा -- है न -
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
https://sapne-shashi.blogspot.com/
-
मेहंदी लगे हाथ कर रहें हैं पिया का इंतजार सात फेरो संग माँगा है उम्र भर का साथ. यूँ मिलें फिर दो अजनबी जैसे नदी के दो किनारो का...
-
हास्य - व्यंग्य लेखन में महिला व्यंग्यकार और पुरुष व्यंग्यकार का अंतर्विरोध - कमाल है ! जहां विरोध ही नही होना चाहिए वहां अ...
-
साल नूतन आ गया है नव उमंगों को सजाने आस के उम्मीद के फिर बन रहें हैं नव ठिकाने भोर की पहली किरण भी आस मन में है जगाती एक कतरा धूप भी, ...
linkwith
http://sapne-shashi.blogspot.com
शुभ-कामनाएं ।
ReplyDeleteप्रकाश फैलाने के लिये किसी न किसी को जलना ही पड़ता है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर संदेश.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुन्दर गागर में सागर
ReplyDeleteनवीन लेख
Without the internet, now Use your Favorites websites अब इन्टरनेट बिना भी प्रयोग कीजिये अपनी मनपसंद बेबसाइट
बहुत सार्थक सन्देश...
ReplyDeleteसार्थक सन्देश लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
ReplyDeleteशब्दों की मुस्कुराहट पर .... हादसों के शहर में :)
Kitna sach farmaya! Jab koyi jalta hai tabhi ujala hota hai...sooraj ho ya shama!
ReplyDeleteआपकी इस शानदार प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार २३/७ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है सस्नेह ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर,
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
गुरु को समर्पित
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_22.html
वृक्षे-वृक्षे वेणुधारी ,पत्रे-पत्रे चतुर्भुजः -वनस्पतियाँ सर्वविधि हमारा कल्याण करती हैं .
ReplyDelete
ReplyDeleteसुन्दर भावों का खुबसूरत रचना !
latest दिल के टुकड़े
latest post क्या अर्पण करूँ !
ReplyDeleteापने लिखा... हमने पढ़ा... और भी पढ़ें...इस लिये आपकी इस प्रविष्टी का लिंक 26-07-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल पर भी है...
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाएं तथा इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और नयी पुरानी हलचल को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी हलचल में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान और रचनाकारोम का मनोबल बढ़ाएगी...
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
जय हिंद जय भारत...
मन का मंथन... मेरे विचारों कादर्पण...
बधाई! यहाँ भी पधारें
ReplyDeletehttp://www.rajeevranjangiri.blogspot.in/
बहुत खूब ... लाजवाब मुक्तक .. सूरज आशा ले कर आता है ...
ReplyDeleteखूबसूरत रचना.
ReplyDeleteखुबसूरत रचना
ReplyDeleteलाजवाब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबढ़िया !
ReplyDelete