कहाँ हूँ मै .......?
अक्सर तन्हाइयों में सोचती हूँ ,
क्या हूँ मै... ?
लगता है जैसे पहचान तो बहुत है ,
पर पहचानता कोई नहीं .. !
दुनिया की इस भीड़ में भी ,
तन्हा हूँ मैं !
तूफानी हवाओं के साथ ,
ठिकानो की तलाश है ....!
ठिकानो की तलाश है ....!
पतझड़ के मौसम में भी ,
बहारो की आश है .
बहारो की आश है .
छलकती मन की गागर को ,
सबसे छिपाऊ मै .....!