कहाँ हूँ मै .......?
अक्सर तन्हाइयों में सोचती हूँ ,
क्या हूँ मै... ?
लगता है जैसे पहचान तो बहुत है ,
पर पहचानता कोई नहीं .. !
दुनिया की इस भीड़ में भी ,
तन्हा हूँ मैं !
तूफानी हवाओं के साथ ,
ठिकानो की तलाश है ....!
ठिकानो की तलाश है ....!
पतझड़ के मौसम में भी ,
बहारो की आश है .
बहारो की आश है .
छलकती मन की गागर को ,
सबसे छिपाऊ मै .....!
जब मन में भावनाएं अच्छी हों तो पहचान अपने आप बन जाती हैं।
ReplyDeleteBahut sundar...It's very difficult to find oneself...
ReplyDeleteपन्नो से पूछती हूँ ,
ReplyDeleteकहाँ हूँ मै .......?
बहुत ही प्यार से...खूबसूरत रचना...
तूफानी हवाओं के साथ ,
ReplyDeleteठिकानो की तलाश है ....!
पतझड़ के मौसम में भी ,
बहारो की आश है .
छलकती मन की गागर को ,
सबसे छिपाऊ मै .....!
कागज - कलम उठाकर ही ,
अपना दिल बहलाऊ मै..........
khoobsoorat,vaakai khoobsoorat ,geminians haar nahee maante main bakhoobee is baat ko jaantaa hoon .aakhir gemini hoon
बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत कविता शशि जी बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDelete