Tuesday, September 20, 2011
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समीक्षा -- है न -
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
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ReplyDeletekhubsurat....
ReplyDeleteबहुत सार्थक और अच्छी सोच .....
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति.
Wonderful and so true. If you wish to do something and are passionate about it, you will win many heart. Beautiful...
ReplyDeleteबहुत खूब ... सच है उधार की रौशनी ज्यादा देर काम नहीं आती ... अपनी लो खुद ही जगानी पढ़ती है ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....:))
ReplyDeleteअभिव्यक्ति को बखू़बी सजाया है आपने...
ReplyDeleteशब्दों के सुन्दर मिलन से रचना की लौ दूर दूर तक फैलें यही हमारी कामना हें एक ओर बधाई स्वीकारें !
ReplyDeletesundar abhivaykti.....
ReplyDeleteशशि जी...क्या लिखती हैं आप...आपकी रचनाएँ दिल को छू लेतीं हैं.....
ReplyDelete♥
ReplyDeleteशशि पुरवार जी
स्नेहिल स्मरण एवं नमस्ते !
बहुत सही कहा आपने -
उधार की रौशनी में कभी ,
चमक नहीं आ पाती.....!
आपकी लेखनी में निरंतर चमक बढ़ती रहे ,
दिनोंदिन निखार आता रहे……… यही कामना है !
♥ हार्दिक मंगलकामनाएं-शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आपका सभी का बहुत शुक्रिया , आप सभी के शब्दों की अभिव्यक्ति हमें बहुत पसंद आई , एक -एक शब्द ने हमें आगे बढ़ने की राह दिखलाई
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