shashi purwar writer

Monday, January 2, 2017

नववर्ष का दिनमान

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नव तरंगो से भरा, नव 
वर्ष का दिनमान आया
फिर विगत को भूलकर 
मन में नया अरमान आया.
  
खिड़कियों से झाँकती, नव 
भोर की पहली किरण है 
और अलसाये नयन में 
स्वप्न में चंचल हिरण है। 
गंध पत्रों से मिलाने 
दिन, नया जजमान आया।
खेत में, खलियान में, जब 
प्रीत चलती है अढाई 
शोख नज़रों ने लजाकर 
आँख धरती  पर गढ़ाई।
गीत मंगल, गान गाओ 
हर्ष का उपमान आया.
  
नित समय के साथ बिखरे 
एक मुट्ठी आस  कोंपल 
द्वार अंतर्घट खुले हों
कर्म से,सज्जित मधुर पल.
सुप्त सुधियों को जगाने  
खुशबु का पवमान आया

झर गए पत्ते समय के
बन गया इतिहास जाजम 
द्वार पर आगम खड़ा है  
मंत्र गुंजित, छंद आजम
हौसलों के बाँध घुँघरू 
नव बरस अधिमान आया।  
फिर विगत को भूलकर 
मन में नया अरमान आया.
             ---शशि पुरवार 

आप सभी मित्रों व ब्लॉगर मित्रों को सपरिवार नव वर्ष की मंगलमयी शुभकामनाएँ।  नववर्ष ख़ुशियों और सकारात्मकता से सराबोर हो यही कामना है।  

2 comments:

  1. दिनांक 03/01/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
    आप भी इस प्रस्तुति में....
    सादर आमंत्रित हैं...

    ReplyDelete
  2. सुन्दर शब्द रचना
    नव बर्ष की शुभकामनाएं
    http://savanxxx.blogspot.in

    ReplyDelete

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