Friday, July 6, 2018

गीतों में बहना

 कभी कभी, अच्छा लगता है,
कुछ  तनहा रहना। 


तन्हाई में भीतर का
सन्नाटा भी बोले
कथ्य वही जो बंद ह्रदय के
दरवाजे खोले। 


अनुभूति के,अतल जलधि को
शब्द - शब्द  कहना
कभी कभी, अच्छा लगता है,
कुछ  तनहा रहना। 


बंद पलक में अहसासों के
रंग  बहुत बिखरे
शीशे जैसा शिल्प तराशा
बिम्ब तभी निखरे।


प्रबल वेग से भाव उड़ें जब
गीतों में बहना।
कभी कभी, अच्छा लगता है,
कुछ  तनहा रहना। 


गहन विचारों में आती, जब
भी कठिन हताशा
मन मंदिर में दिया जलाती
पथ की परिभाषा


तन -मन को रोमांचित करती
सुधियों को गहना
कभी कभी, अच्छा लगता है,
कुछ  तनहा रहना।
           -- शशि पुरवार

12 comments:

  1. सच है कि कभी कभी अंतस को पहचानने के लिए तन्हाई अच्छी होती है ...
    सुंदर रचना अंतस को छूते हुए ...

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 08 जुलाई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-07-2018) को "ओटन लगे कपास" (चर्चा अंक-3026) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. https://bulletinofblog.blogspot.com/2018/07/blog-post_7.html

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  5. सच कहा, तनहाई में ही अंतस की आवाज सुन पाते हैं हम। बहुत सुंदर रचना। सादर।

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  6. एकांत में मन की आवाज़ सुनना हमारी बहुत सारी उलझनों को दूर कर देता है।
    बहुत सुंदर रचना।

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  7. प्रबल वेग से भाव उड़ें जब
    गीतों में बहना।
    कभी कभी, अच्छा लगता है,
    कुछ तनहा रहना। बहुत सुंदर रचना

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  8. सच है तन्हाई में गहराई से सोचता है इंसान, इसलिए अच्छा है कभी-कभी तन्हा रहना
    बहुत अच्छी रचना

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  9. बहुत सुंदर, स्वयं को खोजने के लिये तन्हाई एक साधन है
    आध्यात्मिक सी विचारधारा।

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  10. निमंत्रण विशेष : हम चाहते हैं आदरणीय रोली अभिलाषा जी को उनके प्रथम पुस्तक ''बदलते रिश्तों का समीकरण'' के प्रकाशन हेतु आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ जुलाई २०१८ को अपने आगमन के साथ उन्हें प्रोत्साहन व स्नेह प्रदान करें। सादर 'एकलव्य' https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  11. आप सभी माननीय मित्रों का तहे दिल से आभार आपकी अनमोल प्रतिक्रिया ने प्रोस्ताहित किया , स्नेह बना रहे

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आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

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