दिल के कुछ अरमान
दिल में ही रह जाते है ...!
कुछ अजन्मे , अनछुए ख्वाब
विचरते है कई बार
नम हुए नयन ,
दिल में उठी एक चुभन
ख्वाहिशे हुई क्लांत
खामोश हुई जुबान
आरजूएं हुई है खफा
मिली ये कैसी सजा
गम पीकर भी मुस्कुराते है
जिंदगी के साथ कदम मिलते है ...!
दिल के कुछ अरमान दिल में ही ........!
गुजरते वक्त के साथ
धूमिल नहीं होते ख्वाब
आरजूएं कभी नहीं मरती
इन अजन्मे ख्वाबो की बस्ती
दिल के किसी कोने में है बस्ती ,
वक्त के थपेड़े भी , नहीं
बना पाते उनकी ख्वाबगाह
अनछुए से , सीप के मोती ,
और गुलशन के फूलों ,
की तरह सदैव महकते है
दिल के कुछ अरमान .....!
अजन्मी चाहतें , कुछ ख्वाब
दिल में दफ़न होकर भी ,
सदैव दिल में जन्म लेते है
हकीकत का रूप मिले या न मिले
दिल में सदैव बसते है .
दिल के कुछ अरमान
दिल में ही रह जाते है ...........!
: -- शशि पुरवार
Shashiji,bahut gehre panktiya likhe hai apne.full of emotions and feelings the reader can feel.A very nice read..
ReplyDeletebahut bhaavpoorn rachna hai.bahut achchi lagi.
ReplyDeletebehad sundar...mere blog par aapka swagat hai..
ReplyDeletedil ke kuchh armaan dil mein hee rah jaate
ReplyDeleteunkee vajah se hansnaa naa bhool jaanaa
har armaan pooraa nahee hotaa
khudaa kee marzee samajh kar
hanste huye aage badhte jaanaa
shandar abhivaykti ke liye bahut bahut aabhaar,
ReplyDeleteदिल में सदैव बसते हैं दिल के कई अरमान...
ReplyDeleteबेहद प्यारी,कोमल अभिव्यक्ति।
सुंदर रचना।
ReplyDeleteगहरी अभिव्यक्ति।
शशि जी बहुत सुंदर कविता |
ReplyDeleteSeriously, kuch armaan bas rah jaate hai...Very beautifully penned...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारकर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें.
इस कविता के भाव, लय और अर्थ काफ़ी पसंद आए। बिल्कुल नए अंदाज़ में आपने एक भावपूरित रचना लिखी है।
ReplyDeletearman, ummiden aaawasyaktayen... ye shat pratishat pure ho jayen, to fir inke naam hi badal jate...:)
ReplyDeletegana bhi hai na... dil ke armaaa aanshuon me bah gaye!!
ek behtareen rachna... khubsurat srijat:)
shshi ji ......sunder ..dil ki chune vali ..abhivykti .....
ReplyDeleteShashi ji behad khoobsoorat rachana hai gahre chintan ke sath gahare bhav sath hi sundar shabd sanyojan .........bs yun kahiye bilkul lajabab .......badhaai sweekaren
ReplyDeleteगुज़रते वक़्त के साथ ख्वाब धूमिल नहीं होते ..
ReplyDeleteआरजुएं नहीं मरती .... सच लिखा है ...दिल में उठे हुवे अरमान सदा जागते रहते हैं ... भाव पूर्ण रचना है ..
आपकी रचना लाजवाब है...शब्द और भाव बेजोड़...वाह...
ReplyDeleteनीरज
शशी जी , आपकी कविता अच्छी लगी । .समय मिले तो मेरे नए पोस्ट पर आने का कष्ट कीजिएगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteशशि जी,...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन पोस्ट....रचना अच्छी लगी
ReplyDeletenew post...वाह रे मंहगाई...
भावमयी और प्रवाहमयी.. बहुत सुंदर कविता ।
ReplyDeleterohit ,rajeshkumari ji . rajendraj ji ,asha ji , sanjay ji , indu ji ,prem ji ,atul ji , tushar ji , saru , s.n.shukla ji , dheerendra ji , amrita ji ,sanjay ji ,nukesh ji , niraj ji , naveen ji aap sabhi ka hraday se abhar ....aapne sabdo se apna sneh jahir kiya .
ReplyDeletebhaut hi sundar rachna hai aur dil ko chu gayi rachna par mai baya nahi kar pa raha hun kyu ki "DIL ke kuch bhav dil me hi rah jate hai "
ReplyDeleteबहुत शुन्दर प्रस्तुति , अंतिम पंक्तिय सत्य कह रही है . प्रेम कुछ ऐसा ही होता है , दर्द को साथ लिये हुए.
ReplyDeleteमेरी नयी कविता पढ़िए जरुर.
विजय
bahut khoob jee
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