चुपचाप हौले से , वाट जोहते है तेरी ,
धीरे से अब तो आ जाओ , खुशियाँ
दामन में मेरी ....!
पेशानी की सलवटो को छुपाते
दर्द की ज्वाला को दिल में दबाते ,
अधरो पे हैं मुस्कान लाते
जीवन के रण में बस ,
कैक्टस को ही गिनते जाते ..!
रूत बदली , बसंत ने ली अंगड़ाई
नवकोपलों पे है, खुमारी छाई .
झरते पत्ते दे रहे पुनरागमन का पैगाम ,
फिर कब ख़त्म होगा सब्र का इन्तिहाँ .
बीतते वक्त के साथ , मद्धम होती रौशनी
जर्जर तन , थकित कदम , सुप्त सा मन .
एक सा लागे सारा मौसम ....बसंत .
ऐसे ही खाली जाम के संग ,
जीवन से रुकसत होते हम .....!
चुपचाप , हौले से वाट जोहते है तेरी ,
अब तो आ जाओ ...खुशियाँ ....
दामन में मेरी .............!
:-- शशि पुरवार
:-- शशि पुरवार
कभी -कभी ऊपर वाला भी सितम करता है ,
भरे हुए जाम को सदैव छलकाता है और जिसका प्याला खाली है उसका खाली ही रह जाता है ....!
थोडा सा जाम यदि खाली प्याले में गिरे तो मन तृप्त हो जाता है ..........पर जिसके जाम गिरते रहते है.... उन्हें कहाँ किसी का दर्द नजर आता है .......!
:----शशि पुरवार.
Badhiyaa likhaa shashiji
ReplyDeleteshukriya rajendra ji
Deletewaah!!
ReplyDeletebahut bhaavpoorn prastuti shashi jee..
shukriya vidhya ji
Deletebahut sunder,shashi ji.....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति पुरवार जी बधाई हो आपको
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति शशि जी
ReplyDeleteमधुर पंक्तियाँ ...
रुत बदली, बसंत ने ली अंगडाई
नव कपोलों पे है खुमारी छाई
indu ji ,
Deleteudan ji . aur bikhre huye sangthan se .............aap sabhi ka hardik shukriya .
Bahut khoob mam,
ReplyDeleteachcha laga aapka Blog.
Kripya humaare Blog pe aane ka kasht bhi karen.
http://anjaanakhwaab.blogspot.in/
neelkamal ji aur aur aapka hardik abhar .
DeleteYou have written apt words Shashi...Very few can feel or understand what others go through...
ReplyDeletePowerful writing...
thank you so much saru ........your words always gives me strong feeling and thank u so much for your lovable comments .
Deleteमन के भावो को शब्दों का साथ जो मिला तो ...मन में दबी कुछ अनकही बाते खुदबखुद सामने आ गई ....शब्दों का जादू चल गया ...आभार
ReplyDeleteanju ji bahut -bahut shukriya ...itna pyar dene ke liye .
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा शशि जी भाव पूर्ण प्रस्तुति !
ReplyDeleteस कविता के माध्यम से आपने अपनी अभिव्यक्ति को नया आयाम दिया है जो किसी भी संवेदनशाल व्यक्ति को अधीर कर देने में सार्थक सिद्ध होगी । मेरे नए पोस्ट "जय प्रकाश नारायण" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteनियति और कर्म का शाश्वत द्वंद्व।
ReplyDeleteप्रभावी रचना।
Its a new look orf Dr shashi purvar. fine literary expression... Congratulations
ReplyDeletedeepak ji , mahandra ji , prem ji hardik dhanyavad .... uttsah vardhak tipni ke liye .
Deletedr. aditya ji thank you so much for liking my blog and writing . but i am not dr. sir ......welcome on my blog .:)
As usual shashi .. tum bahut behtareen likhte ho...:)
ReplyDeletethora sa jaam khali pyale me gire, to man tript ho jata hai...!! bahut khub!!
Bilkul sahi kaha jiske jaam chalakte rehte hai usse kahan kisi ka dard nazar aata hai..bahut hi sundar kavita likhi hai...:)
ReplyDeletesahi likha hai aesa hi hota hai bhavpurn prastuti
ReplyDeleterachana
अंतर्मन के सुंदर भाव..... मनमोहक ख्याल
ReplyDeleteशशि जी बेहद भावपूर्ण रचना लगी .........हाँ रहा सवाल जम का तो मै कुछ दिन पूर्व में लिखी कविता को दोहरा रहा हूँ ...
ReplyDeleteये साकीं की सराफत थी जाम को , कम दिया होगा .|
तुम्हारी आँख की लाली को उसने पढ़ लिया होगा ||
बहुत खामोशियों से मत पियो ऐसी शराबों को |
छलकती हैं ये आँखों से कलेजा जल गया होगा ||
ऊपर वाला जो भी करता है अच्छा ही करता है ......भगवन के घर देर है अंधेर नहीं है ...इंजर का फल मीठा होता है |
बहुत ही खूब सूरत रचना के लिए ......कोटि कोटि बधाई स्वीकारें |
वाह बहुत ही बेहतरीन रचना .....
ReplyDelete