Wednesday, September 11, 2013
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
समीक्षा -- है न -
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
https://sapne-shashi.blogspot.com/
-
मेहंदी लगे हाथ कर रहें हैं पिया का इंतजार सात फेरो संग माँगा है उम्र भर का साथ. यूँ मिलें फिर दो अजनबी जैसे नदी के दो किनारो का...
-
हास्य - व्यंग्य लेखन में महिला व्यंग्यकार और पुरुष व्यंग्यकार का अंतर्विरोध - कमाल है ! जहां विरोध ही नही होना चाहिए वहां अ...
-
साल नूतन आ गया है नव उमंगों को सजाने आस के उम्मीद के फिर बन रहें हैं नव ठिकाने भोर की पहली किरण भी आस मन में है जगाती एक कतरा धूप भी, ...
linkwith
http://sapne-shashi.blogspot.com
बहुत बढ़िया हाइकू
ReplyDeletelatest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति 12-09-2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत है
ReplyDeleteकृपया पधारें
धन्यवाद
सार्थक हाइकु
ReplyDeleteसुन्दर हाइकु
ReplyDeleteहरे भरे से
ReplyDeleteरचे नया संसार
धरा का स्नेह
बेह्तरीन अभिव्यक्ति …!!गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.
कभी यहाँ भी पधारें।
सादर मदन
बहुत सुन्दर..
ReplyDelete:-)
बहुत सुन्दर क्षणिकायें।
ReplyDeletebhaut hi sundar....
ReplyDeleteबहुत सुंदर क्षणिकाएं
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDeletesabhi mitro ka tahe dil se abhaar , apna sneh banaye rakhen , aapki samiksha anmol hai hamare liye
ReplyDeleteकोमल क्षणिकाएँ।
ReplyDelete