१
मन के भाव
शांत उपवन में
पाखी से उड़े .
२
उड़े है पंछी
नया जहाँ बसाने
नीड़ है खाली।
३
मन की पीर
शब्दों की अंगीठी से
जन्मे है गीत।
४
सुख औ दुःख
नदी के दो किनारे
खुली किताब।
५
मै कासे कहूँ
सुलगते है भाव
सूखती जड़े।
६
मोहे न जाने
मन का सांवरिया
खुली पलकें
७
मन चंचल
बदलता मौसम
सर्द रातों में।
८
मन उजला
रंगों की चित्रकारी
कलम लिखे।
-- शशि पुरवार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (17-09-2013) मंगलवारीय चर्चा 1371---तेरे द्वार खडा भगवान , भगत... में "मयंक का कोना" पर भी है!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मन की मन में,
ReplyDeleteनित जीवन में,
हलचल, प्रतिपल,
गति अँखियन में।
मन की बातें
ReplyDeleteचित्रित हाइकु में
मनोहारी हैं ।
मन की पीर
ReplyDeleteशब्दों की अंगीठी से
जन्मे है गीत ...
मन में पीर हो तो शब्द स्वतः ही जन्म ले लेते हैं ...
भावपूर्ण हाइकू ...
सुंदर सृजन भावपूर्ण हाइकू !
ReplyDeleteRECENT POST : बिखरे स्वर.
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
सुन्दर रचना..
ReplyDelete:-)
सुंदर हाइकू
ReplyDeleteशुभकामनाएं!
सभी हाइकु बहुत भावपूर्ण, बधाई.
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