shashi purwar writer

Saturday, October 26, 2013

दिलकश चाँद खिला। ……… माहिया



1
सिमटे नभ में  तारे 
दिलकश चाँद खिला 
हम दिल देकर हारे ।
2
फैली शीतल किरनें
मौसम भी बदला
फिर छंद लगे झरने ।
3
पूनो का चाँद खिला
रातों को जागे
चातक हैरान मिला। 
4
हर डाली शरमाई  
चंदा में देखे
प्रियतम की परछाई .
5
रातों चाँद निहारे
छवि इतनी प्यारी
मन में चाँद उतारे .

शशि पुरवार 
-0-

7 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर और प्रभावी प्रस्तुति...
    चित्र तो सच में बहुत दिलकश लगाया है...
    :-)

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  2. खूबशूरत चित्रों से सजी धजी प्रभावशाली प्रस्तुति

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  3. ..
    दिलकश चाँद खिला
    हम दिल देकर हारे ।
    बहुत सुंदर लिखा है , बधाई !

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (27-10-2013)
    जिंदगी : चर्चा अंक -1411 में "मयंक का कोना"
    पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    अहोई अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. सुन्दर चित्रों के साथ बढ़िया प्रस्तुति !
    नई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )

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  6. प्यारी प्रेम प्रतीक्षा

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