shashi purwar writer

Tuesday, December 31, 2013

नये साल की गंध। …… २०१४

नये छंद से, नये बंद से
नये हुए अनुबंध

नयी सुबह की नयी किरण में
नए सपन की प्यास
नव गीतों के रस में भीगी
मन की पूरी आस

लगे चिटकने मन की देहरी
शब्दों के कटिबंध

नयी हवाएँ, नयी दिशाएँ
बरसे नेही, बादल
छोटी छोटी खुशियाँ भी हैं
इन नैनों का काजल

गमक रही है साँस साँस भी
हो कर के निर्बंध

नये वर्ष के नव पन्नों में
नये तराने होंगे
शेष रह गये सपन सलोने
पुनः सजाने होंगे

नयी ताजगी आयी लेकर
नये साल की गंध

--शशि पुरवार
३० दिसंबर २०१३


अनुभूति पत्रिका में प्रकाशित मेरा गीत ---- सभी ब्लोग्गर मित्रो को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये , मंगलकामनाये  ....... नव वर्ष आपके जीवन में  खुशियाँ , सुख , समृद्धि लेकर आये। . 

Tuesday, December 24, 2013

एक मुक्तक




इन्तजार कर रहे थे सुख के फूलों का
हिसाब नहीं रखा  दर्द के शूलों का
जिंदगी बीत रही सुबह  कभी तो  होगी
हमने प्यार ही नाम रखा इन गुलों का
--- शशि पुरवार

Tuesday, December 17, 2013

हाइकु -- नवपत्रक



मृदा ही सींचे
पल्लवित ये बीज
मेरा ही अंश।


माटी को थामे
पवन में झूमती
है  कोमलांगी।
 .
ले अंगडाई
बीजों से निकलते
नवपत्रक .
प्रफुल्लित है
ये नन्हे प्यारे पौधे
छूना न मुझे
 ये हरी भरी
झूमती है फसलें
लहकती सी।
तप्त धरती
सब बीजों को मिला
नव जीवन ।
बीजों से झांके
बेक़रार पृकृति
थाम लो मुझे
मुस्कुराती है
ये नन्ही सी कालिया
तोड़ो न मुझे।


 पत्रों पे  बैठे
बारिश के मनके
जड़ा है हीरा।
१०
हवा के संग
खेलती ये लताएँ
पुलकित है

११
संग खेलते
ऊँचे होते पादप
छू लें आसमां

                         -- शशि पुरवार

  नमस्ते मित्रो लम्बे अंतराल के बाद ब्लॉग पर पुनः सक्रियता और वापसी कर रहे है , आशा है आपका स्नेह सदा की  तरह मिलता रहेगा।  -- जल्दी आपसे आपके ब्लॉग पर भी मिलंगे।  स्नेह बनाये रखे -- आप सभी का दिन मंगलमय हो - शशि पुरवार




समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

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