पवन में झूमती
है कोमलांगी।
.
३
ले अंगडाई
बीजों से निकलते
नवपत्रक .
४
प्रफुल्लित है
ये नन्हे प्यारे पौधे
छूना न मुझे
५
ये हरी भरी
झूमती है फसलें
लहकती सी।
६
तप्त धरती
सब बीजों को मिला
नव जीवन ।
७
बीजों से झांके
बेक़रार पृकृति
थाम लो मुझे
८
मुस्कुराती है
ये नन्ही सी कालिया
तोड़ो न मुझे।
९
पत्रों पे बैठे
बारिश के मनके
जड़ा है हीरा।
जड़ा है हीरा।
१०
हवा के संग
खेलती ये लताएँ
पुलकित है
११
संग खेलते
ऊँचे होते पादप
छू लें आसमां
-- शशि पुरवार
नमस्ते मित्रो लम्बे अंतराल के बाद ब्लॉग पर पुनः सक्रियता और वापसी कर रहे है , आशा है आपका स्नेह सदा की तरह मिलता रहेगा। -- जल्दी आपसे आपके ब्लॉग पर भी मिलंगे। स्नेह बनाये रखे -- आप सभी का दिन मंगलमय हो - शशि पुरवार
हवा के संग
खेलती ये लताएँ
पुलकित है
११
संग खेलते
ऊँचे होते पादप
छू लें आसमां
-- शशि पुरवार
नमस्ते मित्रो लम्बे अंतराल के बाद ब्लॉग पर पुनः सक्रियता और वापसी कर रहे है , आशा है आपका स्नेह सदा की तरह मिलता रहेगा। -- जल्दी आपसे आपके ब्लॉग पर भी मिलंगे। स्नेह बनाये रखे -- आप सभी का दिन मंगलमय हो - शशि पुरवार
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteसब उम्दा !
ReplyDeletebehatarin prastuti ke badhayi,khubsurat udgaar.
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा,.!
ReplyDeleteRECENT POST -: एक बूँद ओस की.
शानदार हाइकू |
ReplyDeleteआशा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (18-12-13) को चर्चा मंच 1465 :काना राजा भी भला, हम अंधे बेचैन- में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत उम्दा हाइकू !
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य (भाग १)
नई पोस्ट चंदा मामा
प्रकृति के सृजन का रोचक वर्णन।
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