shashi purwar writer

Tuesday, December 24, 2013

एक मुक्तक




इन्तजार कर रहे थे सुख के फूलों का
हिसाब नहीं रखा  दर्द के शूलों का
जिंदगी बीत रही सुबह  कभी तो  होगी
हमने प्यार ही नाम रखा इन गुलों का
--- शशि पुरवार

13 comments:

  1. बहुत सुंदर मुक्तक ।
    भावप्रबल ।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-12-13) को "सेंटा क्लॉज है लगता प्यारा" (चर्चा मंच : अंक-1472) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बहुत सुंदर मुक्तक ...
    :-)

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  4. वाह ! बहुत खूब सुंदर मुक्तक ,भावपूर्ण पंक्तियाँ ...!
    =================================
    RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.

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  5. कल 26/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  6. बहुत सुन्दर मुक्तक.....

    सस्नेह
    अनु

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  7. कम शब्दों में उत्कृष्ट सृजन।

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  8. कम शब्दों में उत्कृष्ट सृजन।

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