क्षणिकाएँ
१
प्रतिभा --
नहीं रोक सके,
काले बादल
उगते सूरज की किरणें।
२
सपने --
तपते हुए रेगिस्तान
की बालू में चमकता हुआ
पानी का स्त्रोत, औ
जीने की प्यास.
३
आशा -
पतझड़ के मौसम में
बसंत के आगमन का
सन्देश देती है,
कोमल प्रस्फुटित पत्तियां।
४
संस्कार -
रोपे हुए वृक्ष में
मिलायी गयी खाद,
औ खिले हुए पुष्प।
५
पीढ़ी -
बीत गयी सदियाँ
नही मिट सकी दूरियाँ,
अनवरत चलता हुआ
अंतहीन रास्ता।
६
मित्रता -
जीवन के सफ़र में
महकता हुआ
हरसिंगार।
-- शशि पुरवार
बहुत सुन्दर क्षणिकाएं !
ReplyDeleteसियासत “आप” की !
नई पोस्ट मौसम (शीत काल )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (01-02-2014) को "मधुमास" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1510 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteजीवन के सफ़र में
ReplyDeleteमहकता हुआ
हरसिंगार। adbhut ......
शब्दों में डाली अर्थ की छिटकन।
ReplyDeleteप्रभावपूर्ण
ReplyDeleteवाह !! बहुत सुंदर
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई ----
आग्रह है--
वाह !! बसंत--------