१
चीखती भोर
दर्दनाक मंजर
भीगे हैं कोर
२
तांडव कृत्य
मरती संवेदना
बर्बर नृत्य
३
आतंकी मार
छिन गया जीवन
नरसंहार
४
मासूम साँसें
भयावह मंजर
बिछती लाशें
५
मसला गया
निरीह बालपन
व्याकुल मन
६
फूटी रुलाई
पथराई सी आँखें
दरकी धरा
१६ - १७ दिसम्बर कभी ना भूलने वाला दिन है , पहले निर्भया फिर बच्चों की चीखें --- क्या मानवीय संवेदनाएं मरती जा रहीं है। आतंक का यह कोहरा कब छटेगा।दरकी धरा
मौन श्रद्धांजलि
एक से बढ़ कर के ....... सुन्दर !!
ReplyDeleteदर्द उभर कर आया है हर हायकू में !!
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ReplyDeleteअच्छे भावपूर्ण हाइकु हैं आदरणीया
आपकी लेखनी और मानवीयता को नमन !
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ReplyDeleteआदरणीया
हम मानवता और संस्कार वाले हैं
इसलिए ऐसे अमानवीय कृत्य की भर्त्सना के साथ-साथ
दुखी परिवारों के साथ गहरी संवेदना और सहानुभूति रखते हैं...
और आगे भी रखते रहेंगे...
इस आशा में कि अब इनमें नये आतंकवादी ज़ेहादी नहीं जन्मेंगे...
# बच्चे की जान ली जाए या बड़े की दर्द एक-सा ही होता है
# आतंकवादी ज़ेहादी
मुसलमान को मौत के घाट उतारे या यज़ीदी को
...या हिंदू को
इंसानियत के प्रति गुनाह ही है ! गुनाह ही है ! गुनाह ही है !
ज़रूरत है-
इंसान दिखते हैं तो इंसान बनें... !!
आदरणीय राजेंद्र जी
Deleteहार्दिक धन्यवाद , जी आपसे सहमत हूँ, हम मानवता वालें है और यही आशा करतें है यह कभी खत्म ना हो , बच्चे और बड़े दोनों का ही दर्द एक जैसा होता है किन्तु बच्चे जिन्होंने अभी चलना ही सीखा हो दुनिया भी नहीं देखि , उनके लिए यह भयावह मंजर बेहद दर्दनाक होता है , मासूम फूलों की क्या खता है इसमें। यह आतंकी कब खून खराबा , जेहादी , गुनाह बढ़ते ही जा रहें हैं। इन्हे मिटाना जरुरी है।
जो बच्चें इस मंजर के साक्षी हैं उनके लिए आगे का सफर कितना कठिन होगा हम समझ सकतें है ईश्वर से यही प्रार्थना है उन बच्चों को हिम्मत और गुनाह करने वालों को सदबुद्धि प्रदान करें।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (20-12-2014) को "नये साल में मौसम सूफ़ी गाएगा" (चर्चा-1833)) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत मार्मिक हाइकु...
ReplyDeleteमार्मिक हायकू.
ReplyDeleteसार्थक सामयिक प्रस्तुति
ReplyDeleteमसला गया
ReplyDeleteनिरीह बालपन
व्याकुल मन
फूटी रुलाई
पथराई सी आँखें
दरकी धरा
...दर्द में डूबी गहरे मम को छूती प्रस्तुति
काश, इन आतंकियों को पता होता की वे क्या कर रहे है!!
ReplyDeleteअत्यंत मार्मिक...शब्द भी मौन हैं जैसे...
ReplyDeleteमार्मिक, अर्थपूर्ण हैं सभी हाइकू ...
ReplyDeleteमर्म समाहित रचना...!
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