shashi purwar writer

Monday, January 26, 2015

६६ गणत्रंत्र दिवस



आप सभी भारतीय मित्रों को ६६ वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ , जय हिन्द - जय भारत

सीना चौड़ा कर रहे ,वीर देश की शान
हर दिल चाहे वर्ग से ,करिए इनका मान
करिए इनका मान , हमें धरती माँ प्यारी
वैरी जाये हार , यह जननी है हमारी
दिल में जोश उमंग ,देश की खातिर जीना
युवा देश की शान ,कर रहे चौड़ा सीना .

- शशि पुरवार

Sunday, January 25, 2015

गजल - वक़्त लुटेरा है




कुछ पलों का घना अँधेरा है
रैन के बाद ही सवेरा है.

जग नजाकत भरी अदा देखे
रात्रि में चाँद का बसेरा है.

हर नियत पाक दिल नहीं होती
जाल सठ का बुना घनेरा है.

रंज जीवन नहीं रजा ढूंढो
हर कदम हर्ष का फुलेरा है.

इश्क है हर नदी को सागर से
इल्म है जोग भी निबेरा है.

मै मसीहा नहीं मुसाफिर हूँ
मुफलिसी ने मुझे ठठेरा है.

जिंदगी इम्तिहान लेती है
वक़्त सबसे बड़ा लुटेरा है।
- शशि पुरवार

Sunday, January 18, 2015

कुण्डलियाँ - भाग रही है जिंदगी,


1
भाग रही है जिंदगी, कैसी जग में दौड़
चैन यहाँ मिलता नहीं, मिलते अंधे मोड़
मिलते अंधे मोड़, वित्त की होवे माया
थोथे थोथे बोल, पराया लगता साया
जलती कुंठा आग, गुणों को त्याग रही है
कर्मो का सब खेल, जिंदगी भाग रही है

 2
थोडा हँस लो जिंदगी , थोडा कर लो प्यार
समय चक्र थमता नहीं , दिन जीवन के चार
दिन जीवन के चार  ,भरी  काँटों  से  राहे
हिम्मत कभी न हार , मिलेगी सुख की बाहें
संयम मन में घोल , प्रेम से नाता जोड़ा
खुशिया चारो ओर , भरे घट  थोडा थोडा
-- शशि पुरवार

Tuesday, January 13, 2015

नदिया तीरे


१ 
नया विहान
शब्दों का संसार
रचें महान

झुकता नहीं
आएं लाख तूफ़ान
डिगता नहीं

मन चंचल
मचलता मौसम
सर्द है रात

नदिया तीरे
झील में उतरता
हौले से चंदा

बिखरे मोती
धरती के अंक में
फूलों की गंध

एक शाम
अटूट है बंधन
दोस्ती के नाम

साथ तुम्हारा
महका तन मन
प्यार सहारा
 शशि पुरवार

Thursday, January 1, 2015

उम्मीदें हैं कुछ खास







 
नववर्ष के हाइकु

नव  उल्लास
उम्मींदों का सूरज
मीठी सुवास
धूप सोनल
गुजरा हुआ कल
स्वर्णिम पल
नवउल्लास
खिड़की से झाँकता
 वेद प्रकाश
 स्वर्ण किरण
रोम रोम निखरे
धरा दुल्हन
गुजरा वक़्त
जीवन की परीक्षा
ना लागे सख्त
-- शशि पुरवार


नवगीत -

नये वर्ष से है ,हम सबको
उम्मीदें  कुछ खास

आँगन के बूढ़े बरगद की
झुकी हुई  डाली
मौसम घर का बदल गया, फिर
विवश हुआ  माली
ठिठुर रहे है सर्द हवा में
भीगे से अहसास

दरक गये दरवाजे घर के
आँधी थी आयी
तिनका तिनका उजड़ गया फिर
बेसुध है  माई
जतन कर रही बूढी साँसे
आये कोई पास

चूँ चूँ करती नन्हीं  चिड़िया
समझ नहीं पाये
दुनियाँ उसकी बदल गयी है
कौन उसे  बताये
ऊँची ऊँची अटारियों पे
सूनेपन का वास

नए वर्ष का देख आगवन
पंछी  गाते गीत
बागों की कलियाँ भी झूमे
भ्रमर का संगीत
नयी ताजगी ,नयी उमंगें
मन में  है उल्लास

नये वर्ष से है हम सबको
उम्मीदें कुछ खास।


शशि पुरवार 

समस्त ब्लॉगर परिवार और स्नेहिल मित्रों को सपरिवार नववर्ष   की हार्दिक शुभकामनाएँ
अनुभूति पत्रिका में प्रकाशित गीत -

सामाजिक मीम पर व्यंग्य कहानी अदद करारी खुश्बू

 अदद करारी खुशबू  शर्मा जी अपने काम में मस्त   सुबह सुबह मिठाई की दुकान को साफ़ स्वच्छ करके करीने से सजा रहे थे ।  दुकान में बनते गरमा गरम...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

🏆 Shashi Purwar — Honoured as 100 Women Achievers of India | Awarded by Maharashtra Sahitya Academy & MP Sahitya Academy