Tuesday, January 13, 2015
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समीक्षा -- है न -
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
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मेहंदी लगे हाथ कर रहें हैं पिया का इंतजार सात फेरो संग माँगा है उम्र भर का साथ. यूँ मिलें फिर दो अजनबी जैसे नदी के दो किनारो का...
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नदिया तीरे
ReplyDeleteझील में उतरता
हौले से चंदा ..
बहुत ही लजवाब ... नाजुक हाइकू ...
कुछ शब्दों में लम्बी कहानी लिखी हो जैसे ...
सुन्दर हाइकु
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना बुधवार 14 जनवरी 2015 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteदेखन में छोटे लगे पर घाव करें गंभीर..सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुन्दर हाइकु
ReplyDeleteसंत -नेता उवाच !
क्या हो गया है हमें?
आपकी हर रचना बहुत गहरी और मारक होती है .... बहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया !
ReplyDeleteसभी बहुत सुन्दर हाइकू है ....
ReplyDeleteबूँद में सागर सामान उत्कृष्ट हाइकू ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रभावी हाइकु...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसरस-सार्थक हाइकु.
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