जंगल कटते ही रहे, सूख गए तालाब
बंजर होते खेत में, ठूँठ खड़े सैलाब
जीवन यह अनमोल है, भरो प्रेम का रंग
छोटे छोटे पल यहाँ, बिखरे मोती चंग
हरी भरी सी वाटिका, है जीवन की शान
बंद हथेली खुल गई, पल में ढहा मकान
कतरा कतरा बह रहा, इन आँखों से खून
नफरत की इस आग में, बेबस हुआ सुकून
बेगैरत होने लगे, कलयुग के इंसान
लालच का व्यापार है, स्वाहा होती जान
रात रात भर झर रहे, कोमल हरसिंगार
मदमाती सी चाँदनी, धरती का श्रृंगार
आकुलता उर में हुई, मन में फिर कुहराम
ताना बाना बुन दिया, दुर्बलता के नाम
राहों में मिलते रहे, अभिलाषा के वृक्ष
डाली से कटकर मिला अवसादों का कक्ष
सत्ता में होने लगा, जंगल जैसा राज
गीदड़ भी आते नहीं, तिड़कम से फिर बाज
शशि पुरवार
बंजर होते खेत में, ठूँठ खड़े सैलाब
जीवन यह अनमोल है, भरो प्रेम का रंग
छोटे छोटे पल यहाँ, बिखरे मोती चंग
हरी भरी सी वाटिका, है जीवन की शान
बंद हथेली खुल गई, पल में ढहा मकान
कतरा कतरा बह रहा, इन आँखों से खून
नफरत की इस आग में, बेबस हुआ सुकून
बेगैरत होने लगे, कलयुग के इंसान
लालच का व्यापार है, स्वाहा होती जान
रात रात भर झर रहे, कोमल हरसिंगार
मदमाती सी चाँदनी, धरती का श्रृंगार
आकुलता उर में हुई, मन में फिर कुहराम
ताना बाना बुन दिया, दुर्बलता के नाम
राहों में मिलते रहे, अभिलाषा के वृक्ष
डाली से कटकर मिला अवसादों का कक्ष
सत्ता में होने लगा, जंगल जैसा राज
गीदड़ भी आते नहीं, तिड़कम से फिर बाज
शशि पुरवार
http://bulletinofblog.blogspot.in/2018/05/blog-post_11.html
ReplyDeletewaah bahut khoob
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 13 मई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (13-05-2018) को "माँ के उर में ममता का व्याकरण समाया है" (चर्चा अंक-2969) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर दोहे
ReplyDeleteवाह ! हर एक दोहा अपने आप में मुकम्मल, गहरी बात कहते हुए....सादर ।
ReplyDeleteआप सभी सुधीजनों का हार्दिक धन्यवाद
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