भोर
हुई मन बावरा,
सुन
पंछी का गान
गंध
पत्र बाँटे पवन,
धूप
रचे प्रतिमान
पानी
जैसा हो गया,
संबंधो
में खून
धड़कन
पर लिखने लगे,
स्वारथ
का कानून
आशा
सुख की रागिनी,
जीवन
की शमशीर
गम
की चादर तान कर,
फिर
सोती है पीर
सोने
जैसी जिंदगी,
हीरे
सी मुस्कान
तपकर
ही मिलता यहाँ,
खुशियों
का बागान
जीवन
तपती रेत सा,
अंतहीन
सी प्यास
झरी
बूँद जो प्रेम की,
ठहर
गया मधुमास
सत्ता
में होने लगा,
जंगल
जैसा राज
गीदड़
भी आते नहीं,
तिड़कम
से फिर बाज
सत्ता
में होने लगा,
जंगल
जैसा राज
गीदड़
भी आते नहीं,
तिड़कम
से फिर बाज
उपकरणों
का ढेर है,
सुविधा
का सामान
धरती
बंजर हो रही,
मिटे
खेत खलियान
फिसल
गई ज्यों शब्द से,
टेढी
हुई जुबान
अपना
ही घर फूंकते,विवादित
से बयान
मन
भी गुलमोहर हुआ,
प्रेम
रंग गुलजार
ह्रदय
वसंती मद भरा ,गीत
झरे कचनार
समय
लिख रहा माथ पर,उमर
फेंटती ताश
तन
धरती पर रम रहा,
मन
चाहे आकाश
संवादों में हो रहा, शब्दों से आघात
हरा
रंग वह प्रेम का,
झरते
पीले पात
शशि पुरवार
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, संस्कृत श्लोक का अर्थ - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
Deleteबहुत सुंदर दोहे है..बेहद प्रभावशाली।
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (06-05-2018) को "वृक्ष लगाओ मित्र" (चर्चा अंक-2993) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
पर्यावरण दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ११ जून २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' ११ जून २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीया शुभा मेहता जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बहुत खूब ...
ReplyDeleteसभी दोहे मन भावन ... दिल को छूते हुए ... सादगी और कुशल व्यवहार लिए ...
hardik dhnyavad
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