१
सुबह सवेरे रोज जगाये
नयी ताजगी लेकर आये ना सखी धूप
२
३
रोज,रात -दिन, साथ हमारा
४
तुमसे ही संसार हमारा तुमको पाकर हुई धनवान
ना सखी ज्ञान।
५
रोज सुबह चुपके से आना
हौले से फिर नींद उड़ाना
देख न पाती तुमको जी भर
क्या सखि साजन?
न सखी, दिनकर।
६
बहुत दिनों में मिलने आया
जब आया तब मन हर्षाया
तन मन बरसा, पवित्र नेह
क्या सखि साजन ?
ना सखी मेह।
७
दिनभर आँखें वह दिखलाए
तन मन उससे निज घबराए
रूप बिगाड़े, क्यों अचरज ?
क्या सखि साजन ?
न सखी सूरज।
८
रातों को वह मिलने आए
सोने ना दे, नींद उड़ाए
बातें करते, बढे उन्माद
क्या सखि साजन
ना सखी याद
९
हर पल का है साथ हमारा
बिना तुम्हारे नहीं गुजारा
प्रिय दूर करे वह तन्हाई
क्या सखि साजन ?
ना परछाई
१०
उजला प्यारा रूप तुम्हारा
तुमको देखा दिल भी हारा
पहना है उलफत का फंदा
क्या सखि साजन ?
न सखी चंदा
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30.8.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3079 में दिया जाएगा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
hardik dhnyavad
Deleteबहुत बढ़िया !
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति
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