Thursday, March 17, 2022

गंधों भीगा दिन


हरियाली है खेत में, अधरों पर मुस्कान
रोटी खातिर तन जला, बूँद बूँद हलकान

अधरों पर मुस्कान ज्यूँ , नैनों में है गीत
रंग गुलाबी फूल के, गंध बिखेरे प्रीत

गंध समेटे पाश में, खुशियाँ आईं द्वार
सुधियाँ होती बावरी, रोम रोम गुलनार

अंग अंग पुलकित हुआ, तम मन निखरा रूप
प्रेम गंध की पैंजनी, अधरों सौंधी धूप

अंग अंग पुलकित हुआ, तम मन निखरा रूप
प्रेम गंध की पैंजनी, अधरों सौंधी धूप

खूब लजाती चाँदनी, अधरों एक सवाल
सुर्ख गुलाबी फूल ने, खोला जिय का हाल

गंधों भीगा दिन हुआ, जूही जैसी शाम
गीतों की प्रिय संगिनी, महका प्रियवर नाम

शशि पुरवार 


15 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(१०-१२ -२०२१) को
    'सुनो सैनिक'(चर्चा अंक -४२७४)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. बहुत बहुत सुन्दर रचना

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  3. अंग अंग पुलकित हुआ, तम मन निखरा रूप
    प्रेम गंध की पैंजनी, अधरों सौंधी धूप।
    बहुत सुंदर और सटीक दोहे!--ब्रजेंद्रनाथ

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  4. माननीय आप सभी माननीय मित्रों का बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार कि आपको रचना पसंद आई टिप्पणी करने हेतु तहे दिल से आभार

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  5. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11 दिसंबर 21 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4275 में दिया जाएगा
    धन्यवाद
    दिलबाग

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  6. बेहद खुशबूदार अभिव्यक्ति मन सुवासित हुआ।
    सादर।

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  7. बहुत सुंदर रचना।

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  8. बेहद सुंदर कृति

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  9. बहुत सुंदर सृजन दोहे विधा में सुंदर गीत।
    सरस सृजन।

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  10. वाह शशि जी !
    सुन्दर और भावपूर्ण दोहे !

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  11. हरियाली है खेत में, अधरों पर मुस्कान
    रोटी खातिर तन जला, बूँद बूँद हलकान,,,,, बहुत ही सुंदर रचना,

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  12. बहुत सुंदर कविता! पढ़ कर स्वत: मुस्कान आ जाती है!

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  13. वाह बहुत ही सुन्दर रचना ! आपने बहुत ही सुन्दर लिखा है। इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।रंगोली फोटो
    सिंपल रंगोली फोटो

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न झुकाऒ तुम निगाहे कहीं रात ढल न जाये .....

यूँ  न मुझसे रूठ  जाओ  मेरी जाँ निकल न जाये  तेरे इश्क का जखीरा मेरा दिल पिघल न जाये मेरी नज्म में गड़े है तेरे प्यार के कसीदे मै जुबाँ...

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