सुबह की सुहानी ,
चंचल चितवन ने ,
अधरो पे मेरे ,
मुस्कान लाई.
चिड़ियो का चहचहाना , और
भोर की पहली
किरण का,
चुपके से मेरे
घर आना , फिर
दिल में आशा की
नयी ज्योत जगाना .
शीतल हवा का होले से
छूकर जाना , और
मन का मचल जाना.
नए दिन का यह
सुहाना सफ़र ,
भोर का यह
प्यारा सा पल
खोल रहा है , मेरे
नयनो का पट .
:- शशि पुरवार
कभी जब ऐसी सुबह मन को प्रफुल्लित करती है , तो दिन भी सुहाना ही होता है . काश हर सुबह इतनी ही सुहानी हो . नया दिन सुहाने सफ़र के साथ .