सुबह की सुहानी ,
चंचल चितवन ने ,
अधरो पे मेरे ,
मुस्कान लाई.
चिड़ियो का चहचहाना , और
भोर की पहली
किरण का,
चुपके से मेरे
घर आना , फिर
दिल में आशा की
नयी ज्योत जगाना .
शीतल हवा का होले से
छूकर जाना , और
मन का मचल जाना.
नए दिन का यह
सुहाना सफ़र ,
भोर का यह
प्यारा सा पल
खोल रहा है , मेरे
नयनो का पट .
:- शशि पुरवार
कभी जब ऐसी सुबह मन को प्रफुल्लित करती है , तो दिन भी सुहाना ही होता है . काश हर सुबह इतनी ही सुहानी हो . नया दिन सुहाने सफ़र के साथ .
बहुत ही सुहानी प्रस्तुति है आपकी.
ReplyDeleteपढकर प्रफुल्लित हो गया है मन.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
आपके ब्लॉग को फालो कर रहा हूँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
बहुत बहुत स्वागत है आपका.
सुन्दर अभिव्यक्ति..शुभकामनाएं !
ReplyDeleteBLOG PAHELI
चिड़ियो का चहचहाना , और
ReplyDeleteभोर की पहली
किरण का,
चुपके से मेरे
घर आना , फिर
दिल में आशा की
नयी ज्योत जगाना .bahut achchi lagi.......
Again, very beautiful poem and the new picture is very pretty. You're looking so gorgeous.
ReplyDeleteशशि जी सुंदर कविता बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeletesaru thank you so much . :) <3
ReplyDeleteशुक्रिया मृदुला जी
ReplyDeleteधन्यवाद जयकृष्ण राय जी
ReplyDeleteराकेश जी ,
शिखा
चिड़ियों का चहचहाना,और
ReplyDeleteभोर की पहली
किरण का,
चुपके से मेरे
घर आना ,फिर
दिल में आशा की
नयी ज्योत जगाना.
सुहानी सुबह का सुहाना वर्णन...
बहुत अच्छा है| बधाई
ऋता शेखर 'मधु' जी धन्यवाद
ReplyDeleteआपका स्वागत है .
भोर जब मैंने ली अंगडाई ,
ReplyDeleteसुबह की सुहानी ,
चंचल चितवन ने ,
अधरो पे मेरे ,
मुस्कान लाई.BE HAPPY WITH EVERY GOOD MORNING