हे प्रभु , तेरी लीला है न्यारी ,
जग पे छाई , है यह कैसी खुमारी ..
गिरते मूल्य ,
छोटे होते इंसान
मौकापरस्त है वे ,
सेकते अपने हाथ ,
रूपैया महान....!
भारी होती जेबें ,
खिसियानी मुसकान .
चहुँ और फैले दानव ,
मासूमियत परेशां...!
कर के नाम पर
साधू दे दान ,
चतुर छुपाये काम
तभी तो होगा
देश का कल्याण .
मासूम चेहरे
हैवानियत भरी नजरे
कुटिलता है पहचान .
जार - जार होते सिद्धांत
इंसानियत हैरान .
नर हो या नारी
कटाक्ष की तलवार
सोने सी भारी
स्वार्थ , अहं , दुश्मनी
तानाशाही , खुनी मंजर की
आग में है झुलसे
दुनिया सारी..... !
हे प्रभु , तेरी लीला है न्यारी ...!
:--शशि पुरवार